1/8तुलसी के प्रयोग में रखें ये सावधानियां
आज के दौर में तुलसी के प्रयोग में सर्वाधिक जोर दिया जा रहा है। कोरोनाकाल में तुलसी के प्रयोग को बहुत ही महत्वपूर्ण माना जा रहा है। बड़े-बड़े डॉक्टर जहां इस वक्त तुलसी को खाने की सलाह दे रहे हैं, वहीं तुलसी को आध्यात्म की दृष्टि से भी बहुत ही उपयोगी पौधा माना जा रहा है। मगर क्या आप जानते हैं कि तुलसी के सेवन के कुछ नुकसान भी हो सकते हैं अगर आपने इसे कुछ सावधानियों के साथ प्रयोग नहीं किया तो यह लाभ के स्थान पर आपको नुकसान भी पहुंचा सकती है। आइए आपको देते हैं तुलसी के औषधीय प्रयोग से जुड़ी महत्वपूर्ण जानकारी।
आज के दौर में तुलसी के प्रयोग में सर्वाधिक जोर दिया जा रहा है। कोरोनाकाल में तुलसी के प्रयोग को बहुत ही महत्वपूर्ण माना जा रहा है। बड़े-बड़े डॉक्टर जहां इस वक्त तुलसी को खाने की सलाह दे रहे हैं, वहीं तुलसी को आध्यात्म की दृष्टि से भी बहुत ही उपयोगी पौधा माना जा रहा है। मगर क्या आप जानते हैं कि तुलसी के सेवन के कुछ नुकसान भी हो सकते हैं अगर आपने इसे कुछ सावधानियों के साथ प्रयोग नहीं किया तो यह लाभ के स्थान पर आपको नुकसान भी पहुंचा सकती है। आइए आपको देते हैं तुलसी के औषधीय प्रयोग से जुड़ी महत्वपूर्ण जानकारी।
2/8तुलसी की माला
गले में तुलसी की माला धारण करने से जीवनशक्ति बढ़ती है, बहुत से रोगों से मुक्ति मिलती है। वहीं तुलसी की माला पर भगवत नाम का जप करना कल्याणकारी है। मृत्यु के समय मृतक के मुख में तुलसी के पत्तों का जल डालने से वह सम्पूर्ण पापों से मुक्त होकर भगवान विष्णु के लोक में जाता है और उसे मोक्ष की प्राप्ति होती है।
3/8दूध के साथ तुलसी का प्रयोग सही या गलत
ब्रह्मवैवर्त पुराण के एक खंड में बताया गया है कि तुलसी के पत्ते सूर्योदय के पश्चात ही तोड़ें। दूध में तुलसी के पत्ते नहीं डालने चाहिए। इससे तुलसी फायदेमंद नहीं हानिकारक भी हो सकता है। वैज्ञानिक दृष्टिकोण भी यह कहता है कि दूध के साथ तुलसी एसिडिक होकर नुकसानदायक हो जाती है।
गले में तुलसी की माला धारण करने से जीवनशक्ति बढ़ती है, बहुत से रोगों से मुक्ति मिलती है। वहीं तुलसी की माला पर भगवत नाम का जप करना कल्याणकारी है। मृत्यु के समय मृतक के मुख में तुलसी के पत्तों का जल डालने से वह सम्पूर्ण पापों से मुक्त होकर भगवान विष्णु के लोक में जाता है और उसे मोक्ष की प्राप्ति होती है।
3/8दूध के साथ तुलसी का प्रयोग सही या गलत
ब्रह्मवैवर्त पुराण के एक खंड में बताया गया है कि तुलसी के पत्ते सूर्योदय के पश्चात ही तोड़ें। दूध में तुलसी के पत्ते नहीं डालने चाहिए। इससे तुलसी फायदेमंद नहीं हानिकारक भी हो सकता है। वैज्ञानिक दृष्टिकोण भी यह कहता है कि दूध के साथ तुलसी एसिडिक होकर नुकसानदायक हो जाती है।
4/8तुलसी के पौधे की सही दिशा
वैसे तो घर में सभी दिशा में तुलसी का पौधा लगाया जा सकता है। लेकिन इसके लिए सबसे शुभ और उपयुक्त दिशा उत्तर-पूर्व की मानी जाती है। इस दिशा में लगा तुलसी का पौधा जल्दी मुरझाता नहीं है और साथ ही आरोग्य भी प्रदान करता है।
वैसे तो घर में सभी दिशा में तुलसी का पौधा लगाया जा सकता है। लेकिन इसके लिए सबसे शुभ और उपयुक्त दिशा उत्तर-पूर्व की मानी जाती है। इस दिशा में लगा तुलसी का पौधा जल्दी मुरझाता नहीं है और साथ ही आरोग्य भी प्रदान करता है।
5/8ऐसे वक्त में न तोड़े तुलसी का पत्ता
पुराणों में बताया गया है कि पूर्णिमा, अमावस्या, द्वादशी और सूर्य-सक्रांति के दिन, मध्याह्नकाल, रात्रि, दोनों संध्याओं के समय और शौच के समय, तेल लगा के, नहाए धोए बिना जो मनुष्य तुलसी का पत्ता तोड़ता है, वह मानो भगवान श्रीहरि का मस्तक छेदन करने के बराबर पाप करता है।
6/8विशेष लाभ पाने के लिए
रोज सुबह खाली पेट तुलसी के पांच-सात पत्ते खूब चबाकर खाएं और ऊपर से तांबे के बर्तन में रात का रखा एक गिलास पानी पिएं। इस प्रयोग से बहुत लाभ होता है। यह ध्यान रखें कि तुलसी के पत्तों के कण दांतों के बीच न रह जाएं। ऐसा होने से आपके दांत खराब होने के साथ ही पेट पर भी बुरा असर पड़ेगा।
7/8तुलसी को नहीं माना जाता बासी
बासी फूल और बासी जल पूजा के लिए वर्जित है परंतु तुलसी दल और गंगाजल बासी होने पर भी वर्जित नहीं है। इसलिए आप चाहें तो पूजा के लिए तुलसी के पत्ते कई सारे एक साथ भी तोड़कर रख सकते हैं।
8/8ब्लड प्रेशर में असरदार
विशेषज्ञ बताते हैं कि तुलसी एक अद्भुत औषधि है, जो ब्लडप्रेशर व पाचनतंत्र के नियमन, रक्तकणों की वृद्धि एवं मानसिक रोगों में अत्यन्त लाभकारी है। मलेरिया तथा अन्य प्रकार के बुखारों में तुलसी अत्यंत उपयोगी सिद्ध हुई है। तुलसी ब्रह्मचर्य की रक्षा में एवं याददाश्त बढ़ाने में भी अनुपम सहायता करती है। तुलसी बीज का लगभग एक ग्राम चूर्ण रात को पानी में भिगोकर सुबह खाली पेट लेने से वीर्यरक्षण में बहुत मदद मिलती है।
पुराणों में बताया गया है कि पूर्णिमा, अमावस्या, द्वादशी और सूर्य-सक्रांति के दिन, मध्याह्नकाल, रात्रि, दोनों संध्याओं के समय और शौच के समय, तेल लगा के, नहाए धोए बिना जो मनुष्य तुलसी का पत्ता तोड़ता है, वह मानो भगवान श्रीहरि का मस्तक छेदन करने के बराबर पाप करता है।
6/8विशेष लाभ पाने के लिए
रोज सुबह खाली पेट तुलसी के पांच-सात पत्ते खूब चबाकर खाएं और ऊपर से तांबे के बर्तन में रात का रखा एक गिलास पानी पिएं। इस प्रयोग से बहुत लाभ होता है। यह ध्यान रखें कि तुलसी के पत्तों के कण दांतों के बीच न रह जाएं। ऐसा होने से आपके दांत खराब होने के साथ ही पेट पर भी बुरा असर पड़ेगा।
7/8तुलसी को नहीं माना जाता बासी
बासी फूल और बासी जल पूजा के लिए वर्जित है परंतु तुलसी दल और गंगाजल बासी होने पर भी वर्जित नहीं है। इसलिए आप चाहें तो पूजा के लिए तुलसी के पत्ते कई सारे एक साथ भी तोड़कर रख सकते हैं।
8/8ब्लड प्रेशर में असरदार
विशेषज्ञ बताते हैं कि तुलसी एक अद्भुत औषधि है, जो ब्लडप्रेशर व पाचनतंत्र के नियमन, रक्तकणों की वृद्धि एवं मानसिक रोगों में अत्यन्त लाभकारी है। मलेरिया तथा अन्य प्रकार के बुखारों में तुलसी अत्यंत उपयोगी सिद्ध हुई है। तुलसी ब्रह्मचर्य की रक्षा में एवं याददाश्त बढ़ाने में भी अनुपम सहायता करती है। तुलसी बीज का लगभग एक ग्राम चूर्ण रात को पानी में भिगोकर सुबह खाली पेट लेने से वीर्यरक्षण में बहुत मदद मिलती है।
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