दुनियाभर में न जाने कितनी अजीबोगरीब प्रथाएं प्रचलित हैं। इन प्रथाओं को बहुत पढ़े-लिखे लोग सही तरीके से पालन करते हैं, तो वहीं कई लोग इसका मजाक भी उड़ाते हैं। कुछ ऐसी ही प्रथा रूस के केप व्याटलिना में प्रचलित है। यहां पर लोग समुद्र के किनारे पत्थरों के टावर बनाते हैं। आज के समय में यह टावर पूरी दुनिया का ध्यान अपनी तरफ खींच रहे हैं। पत्थर से बने इन टावरों को लेकर कई तरह की कहानियां प्रचलित हैं। ऐसी मान्यता है कि इन टावरों के बनाने से इच्छा की पूर्ति होती है।
2015 से हुई थी शुरुआत
रूस का केप व्याटलिना खूबसूरत जगहों में से एक है। इस जगह पर समुद्र के किनारों पर पत्थरों का टावर बनाने की शुरुआत साल 2015 में हुई थी। उस समय इस शहर की 155वीं एनिवर्सरी मनाई जा रही थी। एनिवर्सरी को यादगार बनाने के लिए व्लादिवोस्तोक के एक एक्टिविस्ट ग्रुप ने पत्थरों से 155 टावर समुद्र के किनारों पर बनवाए थे। हालांकि, कुछ समय बाद नजदीक की एक गुफा ढह जाने से नष्ट हो गए। आज के समय में इस जगह को ‘रशियन स्टोन हेंज’ के नाम से भी जाना जाता है।
मेडिटेशन और व्यायाम से संबंध
पत्थरों के टावर को लेकर एक कहानी ये भी प्रचलित है कि इन टावरों को बनवाना एक मेडिटेशन की तरह होता है। अगर आपको ज्यादा ऊंचा और कई दिनों तक ना गिरने वाला टावर बनाना हो, तो कई घंटों का समय लग सकता है। क्योंकि इस काम में बहुत ध्यान लगाने की आवश्यकता होती है। टावरों को बनाना का प्रोसेस एक तरह का व्यायाम और मेडिटेश ही है।
टूरिस्ट के लिए बना ट्रेडिशन
आज के समय में पत्थरों का टावर बनवाना यहां आने वाले टूरिस्ट के लिए एक ट्रेडिशन बन चुका है। लोग ऐसा मानते हैं कि अगर आपकी कोई विश है, तो इस जगह पर पत्थरों का टावर बनवाने से पुरी हो सकती है। यहां पर ऐसे कई टावर हैं, जिनकी ऊंचाई 3.5 मीटर के आसपास हैं।
इंटनेट पर कुछ ऐसे हुआ वायरल
‘स्टोन टावर्स ऑफ द सिटी बाय द सी’ प्रोजेक्ट के ऑर्गेनाइजर डेनिस गोरबुनो के अनुसार, वो अपने दोस्तों के साथ वहां रोजाना टावर बनाने जाते थे। इसके बाद अन्य लोग भी टावर बनाकर फोटो शेयर करने लगे। धीरे-धीरे सोशल मीडिया पर इनकी तस्वीरें वायरल होने लगीं और यह एक प्रथा में बदल गया।
2015 से हुई थी शुरुआत
रूस का केप व्याटलिना खूबसूरत जगहों में से एक है। इस जगह पर समुद्र के किनारों पर पत्थरों का टावर बनाने की शुरुआत साल 2015 में हुई थी। उस समय इस शहर की 155वीं एनिवर्सरी मनाई जा रही थी। एनिवर्सरी को यादगार बनाने के लिए व्लादिवोस्तोक के एक एक्टिविस्ट ग्रुप ने पत्थरों से 155 टावर समुद्र के किनारों पर बनवाए थे। हालांकि, कुछ समय बाद नजदीक की एक गुफा ढह जाने से नष्ट हो गए। आज के समय में इस जगह को ‘रशियन स्टोन हेंज’ के नाम से भी जाना जाता है।
मेडिटेशन और व्यायाम से संबंध
पत्थरों के टावर को लेकर एक कहानी ये भी प्रचलित है कि इन टावरों को बनवाना एक मेडिटेशन की तरह होता है। अगर आपको ज्यादा ऊंचा और कई दिनों तक ना गिरने वाला टावर बनाना हो, तो कई घंटों का समय लग सकता है। क्योंकि इस काम में बहुत ध्यान लगाने की आवश्यकता होती है। टावरों को बनाना का प्रोसेस एक तरह का व्यायाम और मेडिटेश ही है।
टूरिस्ट के लिए बना ट्रेडिशन
आज के समय में पत्थरों का टावर बनवाना यहां आने वाले टूरिस्ट के लिए एक ट्रेडिशन बन चुका है। लोग ऐसा मानते हैं कि अगर आपकी कोई विश है, तो इस जगह पर पत्थरों का टावर बनवाने से पुरी हो सकती है। यहां पर ऐसे कई टावर हैं, जिनकी ऊंचाई 3.5 मीटर के आसपास हैं।
इंटनेट पर कुछ ऐसे हुआ वायरल
‘स्टोन टावर्स ऑफ द सिटी बाय द सी’ प्रोजेक्ट के ऑर्गेनाइजर डेनिस गोरबुनो के अनुसार, वो अपने दोस्तों के साथ वहां रोजाना टावर बनाने जाते थे। इसके बाद अन्य लोग भी टावर बनाकर फोटो शेयर करने लगे। धीरे-धीरे सोशल मीडिया पर इनकी तस्वीरें वायरल होने लगीं और यह एक प्रथा में बदल गया।
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