---Third party advertisement---

अब सात बैंको को निजी हाथों में बेचेगी मोदी सरकार, बचेंगे केवल पांच सरकारी बैंक

नई दिल्ली: मोदी सरकार ने देश के सात और सावजनिक क्षेत्रों के बैंको (PSU) को निजी हाथो में बेचने की तैयारी कर ली है. अगर सब प्लैन के मुताबिक हुआ तो अगले कुछ महीनो तक देश में केवल 5 सार्वजानिक क्षेत्रों के बैंक बचेंगे. केंद्र सरकार (Central Government) योजना के पहले चरण में बैंक ऑफ इंडिया (BOI), सेंट्रल बैंक ऑफ इंडिया (CBI), इंडियन ओवरसीज बैंक (IOB), यूको बैंक (UCO Bank), बैंक ऑफ महाराष्‍ट्र और पंजाब एंड सिंध बैंक में मैजोरिटी स्‍टेक (Majority Stakes) बेचेगी.

रिपोर्ट के अनुसार देश में इससे पहले बैंको को मर्ज किया गया था मगर अब सरकार सीधे सरकारी बैंको का निजीकरण कर घाटा कम करना चाहती है. मोदी सरकार की दलील है की आर्थिक संकट की वजह से सरकार के पास फंड की कमी हो गई है.

सरकार ने पहले ही बता दिया है कि अब सार्वजनिक क्षेत्र के बैंकों का विलय नहीं किया जाएगा. लिहाजा सिर्फ उनके निजीकरण का ही विकल्प बचता है. पिछले साल ही 10 सरकारी बैंकों का विलय कर 4 बड़े बैंक बनाए गए हैं. अगली तैयारी जिन बैंकों का विलय नहीं हुआ है, उनके निजीकरण की है. केंद्र सरकार इसको लेकर कैबिनेट में प्रस्ताव लाने की तैयारी में है. वित्त विभाग के अधिकारी इसके प्रस्ताव को बनाने में जुटे हुए हैं. जल्द ही कैबिनेट में यह प्रस्ताव रखा जाएगा.


निजीकरण प्रस्‍ताव तैयार कर कैबिनेट को सौंपेगी सरकारएक वरिष्‍ठ सरकारी अधिकारी ने बताया, ‘सरकार चाहती है कि देश में सिर्फ 4 या 5 सार्वजनिक क्षेत्र के बैंक रह जाएं.’ मौजूदा समय में देश में 12 सरकारी बैंक हैं. बता दें कि इसी साल सरकार ने 10 सरकारी बैंकों का विलय कर 4 राष्‍ट्रीयकृत बैंकों में तब्‍दील कर दिया था. इसके बाद 1 अप्रैल 2020 से देश में सरकारी बैंकों की कुल संख्‍या 12 रह गई, जो 2017 में 27 थी. अधिकारी ने बताया कि इस तरह की योजना को एक नए निजीकरण प्रस्ताव में रखा जाएगा, जिसे सरकार अभी तैयार कर रही है. फिर इसे कैबिनेट (Cabinet) के सामने मंजूरी के लिए पेश किया जाएगा.


मौजूदा हालात को देखते हुए चालू वित्‍त में संभव नहीं विनिवेशअधिकारी ने कहा कि पिछले साल सरकार ने 10 सरकारी बैंकों का आपस में विलय कर चार में तब्‍दील किया था. अब सरकारी बैंकों काो निजी क्षेत्र को बेचने की योजना बनाई जा रही है. हालांकि, सरकार की निजीकरण योजना तब अमल में लाई जा सकती है, जब वित्‍त वर्ष 2020-21 के दौरान फंसे लोन की तादाद बढ़ सकती है. सूत्रों का ये भी कहना है कि चालू वित्‍त वर्ष में विनिवेश होना संभव नहीं है. उनका मानना है कि इस समय हालात विनिवेश से बड़ा फायदा मिलने के पक्ष में नहीं हैं.

Post a Comment

0 Comments