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'शादी के लिए मैं जिस लड़के को देख रही थी, उसी ने किया यौन शोषण'


'अरेंज्ड मैरिज' को लेकर लड़कियों के सामने क्या क्या परेशानियां आती हैं, खुद लड़कियों ने बताया. (सांकेतिक तस्वीर)
पिछले हफ्ते नेटफ्लिक्स ऐप का मोबाइल में नोटिफ़िकेशन आया. सीमा आंटी से मिलना चाहेंगी. भाई हमने खोला. पाया कि एक शो है इंडियन मैचमेकिंग. सीमा आंटी उसमें रिश्ते जोड़ने का काम करती हैं. शो देखकर तो काफ़ी उबकाई सी आई. इसलिए उसपर चर्चा नहीं करेंगे. चर्चा करेंगे मैचमेकिंग पर. उस पूरे प्रोसेस पर जो दावा करता है आपके लिए आपका जीवनसाथी खोजकर देगा.

अरेंज्ड मैरिज एक ऐसी चिड़िया का नाम है जो पश्चिम में नहीं पाई जाती. ईस्ट का अलग वैल्यू सिस्टम है और शादी के मायने यहां अलग हैं. शादी के बारे में एक विचारधारा ये है कि ये प्रेम और साथ रहने की इच्छा, कॉम्पैटिबिलिटी, गहरी दोस्ती का अगला कदम है. मगर ट्रेडिशनली शादी का अर्थ है एक कॉन्ट्रैक्ट. जिसका लक्ष्य है परिवार बनाना, अपनी जाति को आगे बढ़ाना यानी बच्चे पैदा करना, अपनी सोशल और फाइनेंशियल स्थितियां सुधारना. यकीन मानिए, प्रेम की इसमें कोई जगह नहीं है.
कई बार तो शादी इसलिए करा दी जाती है क्योंकि घरवालों को लगता है कि यही सही टाइम है.(सांकेतिक तस्वीर)
हम फिल्मों में प्रेम होता देख रहे हैं और पसंद कर रहे हैं. आज से नहीं, फिल्मों की शुरुआत से. जिन गीतों के हम दीवाने हैं उसमें नायक नायिका के साथ पब्लिक में नाच रहा होता है. लेकिन असलियत में अगर पति-पत्नी भी एक-दूसरे का हाथ पकड़कर चलें तो लोग उन्हें घूरेंगे. प्रेम दिखाना, या अपने प्रेम को विवाह में बदलता देखने का हमारे देश में दर, प्रेम की कल्पना से कहीं कम है.
इस तरह प्रेम और शादी हो जाते हैं हमारे समाज में दो अलग मसले. मैंने कुछ लड़कियों से उनके एक्सपीरियंस पूछे. मैचमेकिंग के. ऑनलाइन और ऑफलाइन. जिन्हें मैं बताती चलूंगी.
 तो सबसे पहले, लड़कियां क्यों जाती हैं इस रास्ते?
स्पेनिश लेखक गेब्रियल गार्सिया मार्केज़ का एक लघु उपन्यास है. क्रॉनिकल ऑफ़ अ डेथ फोरटोल्ड. एक मर्डर की कहानी है ये. पूरी कहानी फिर कभी. आप इतना जान लें कि एक लड़की की अरेंज्ड मैरिज हो रही है. एक ऐसे व्यक्ति से जिससे वो प्रेम नहीं करती. वो ये बात अपनी मां से कहती है तो उसकी मां कहती हैं- प्रेम का क्या है. वो तो समय के साथ सीख लोगी. शायद इसी भरोसे से लोग खुद को मैचमेकिंग की दुनिया में लेकर आते हैं.
मैचमेकिंग के नाम पर लड़कियों से कॉम्प्रोमाइज़ करने की बात कही जाती है. अपनी उम्मीदें कम करने की भी. (सांकेतिक तस्वीर)
28 साल की निहारिका बताती हैं:
मैं इन पोर्टल्स पर इसलिए हूं क्योंकि करियर बना लेने के बाद अब शादी के लिए तैयार हूं. वो एक ऐसी जगह है जहां शादी के लिए तैयार लड़के उबलब्ध हैं. इन साइट्स पर बेसिक बातें पता चल जाती हैं. परिवार कैसा है, लड़का कैसा दिखता हैं, करता क्या है, कहां पढ़ा है, किस कल्चर से हैं. शुरू में ही ये चीजें पता चल जाएं तो फोन उठाकर बात करना आसान हो जाता है.

27 साल की गुरमेहर बताती हैं:
मेरी फैमिली में जल्दी शादी का चलन है. लड़कों तक की शादी 26 की उम्र तक हो जाती है. ऐसे में 27 की उम्र में लड़की का सिंगल होना नॉर्मल नहीं है. तीन साल पहले से ही अखबारों का शादी वाला पन्ना मेरे लिए देखा जाने लगा था.

31 साल की सोनिया जो शादी कर चुकी हैं. और दुर्भाग्यवश डिवोर्स केस के बीच में हैं, बताती हैं:
मैं एक रिलेशनशिप में थी. एक साल तक उसमें इन्वेस्ट किया. मगर मेरे घर वाले कम्युनिटी में लड़का खोज रहे थे. और वो कम्युनिटी से नहीं था. तो वो रिश्ता कभी शादी में नहीं बदल पाया. फिर ऑप्शन ही क्या बचा. लड़के खोजने शुरू किए और ये पहला ही रिश्ता फाइनल हो गया था.

ख़ास तौर पर भारत में ये कहा जाता है कि शादी लड़का-लड़की के बीच में नहीं, दोनों के परिवारों के बीच होती है.(सांकेतिक तस्वीर)
28 साल की दीपशिखा कहती हैं,
इसलिए इस रास्ते आना पड़ा क्योंकि घर से बहुत प्रेशर आ रहा था. काफी बहसों के बाद अंततः मैं मान गई. अब उम्र भी ऐसी आ गई थी कि स्टेबल तो होना ही था. अक्सर ऐसा माना जाता है कि इंडिपेंडेंट लड़कियां लव मैरिज करेंगी, अरेंज्ड के फेर में नहीं पड़ेंगी. लेकिन ऐसा नहीं है. कई लड़कियां हैं जो इसको लेकर ओपन हैं.

क्या शादी के बाद प्यार हो जाएगा?
ट्रेडिशनली, प्रेम को शादी के लिए एक कमज़ोर वजह माना जाता है. क्योंकि अक्सर कहा जाता है कि सिर्फ प्रेम पर्याप्त नहीं होता है. दो लोग एक-दूसरे से आकर्षित हुए हैं इसका ये मतलब नहीं कि उनमें निभ पाएगी. ट्रेडिशनली ये माना जाता है कि कुंडलियों का मिलान कर विवाह हो जाए, बच्चे हो जाएं, बहू घर संभाल ले. और इस प्रोसेस में प्रेम तो हो ही जाएगा. इस विश्वास को पुख्ता करते हैं हमारे टीवी सीरियल, हमारी फ़िल्में. लेकिन हर व्यक्ति का सच अलग होता है.
निहारिका कहती हैं:
मैं पहले लॉन्ग-टर्म रिलेशनशिप में रह चुकी हूं. उसमें सबकुछ ठीक भी रहा है. लेकिन मैं उसे शादी में तब्दील होता नहीं देखती हूं. मुझे लगता है एक उम्र के बाद ये ज्यादा महत्त्वपूर्ण है कि दो लोग एक दूसरे से एडाप्ट कैसे करते हैं. लाइफस्टाइल किससे मैच होती है. काफी प्रैक्टिकल हूं मैं. मेरे लिए प्रेम बहुत ज़रूरी नहीं है. मेरे शेड्यूल में प्रेम के लिए टाइम भी नहीं है. मुझे मेच्योरिटी चाहिए, वो सॉर्टेड हो, करियर में सेटल्ड हो.

दीपशिखा कहती हैं:
मैं यहां खुले दिमाग से आई थी लेकिन आने के बाद पता चला कि ये उस तरह के पुरुष बिलकुल नहीं हैं, जैसे पुरुष मेरे दोस्त हैं. ये बिलकुल अलग हैं. ये पुरुष अपनी महिला दोस्तों को लेकर तो बहुत ओपन खयालात के हैं. लेकिन जब अपनी पत्नी पर आती है तो सबको आदर्श बहू चाहिए.

रिजेक्शन क्यों होता है?
26 साल की जोहरा ने अरेंज्ड मैरिज की और वो खुश हैं अपने फैसले से. लेकिन पुराना समय याद करते हुए कहती हैं:
मैंने दो चीजें फेस कीं. मेरा वेट ज्यादा था और मैं चश्मा लगाती थी. ऐसे रिश्ते रिजेक्ट हो जाते हैं. कोई बड़ी बात नहीं है. हालांकि मुझे ज्यादा झेलना नहीं पड़ा और जो पार्टनर मिले वो भी अच्छे हैं.

कई बार लड़कियों को बॉडी शेमिंग झेलनी पड़ती है, उनके स्किन कलर को लेकर बातें सुनाई जाती हैं. (सांकेतिक तस्वीर)
निहारिका बताती हैं:
मैं तीन लड़कों से मिली. एक लड़के ने कहा मैं बहुत मोटी हूं. एक आईटी कंपनी में प्रोडक्ट मेनेजर था. पहले तो कहा कि मोटी लडकियां खूबसूरत नहीं होतीं. फिर कहा कि हां तुम तो पढ़ने वाली हो तो खूबसूरत कैसे होगी. ये किस तरह का स्टीरियोटाइप है? दूसरा लड़का तुरंत शादी करना चाहता था. मैं किसी से मिली हूं तो कम से कम एक साल चाहिए उसे जानने-समझने के लिए. तीसरा लड़का अच्छा था. लेकिन उसे कोई और लड़की पसंद आई. वो मेहनती था, उसे मुझसे ज्यादा स्टेबल लड़की चाहिए थी क्योंकि उसकी नौकरी खुद बहुत चुनौती भरी थी. मैं खुश हूं कि मैं उससे मिली. वो अब एक अच्छा दोस्त है. 

गुरमेहर बताती हैं:
अक्सर रिजेक्शन के बारे में पेरेंट्स बताते नहीं हैं. मैं 30 से 40 रिश्ते देख चुकी हूं. मेरी हाइट 5’1″ है. लोगों को लगता है मैं बहुत छोटी हूं. दुबली भी हूं. वैक्सिंग में यकीन नहीं रखती तो अच्छे-खासे बाल हैं शरीर पर जो दिखते हैं. मेरा जॉब प्रोफाइल लोगों को जमता नहीं. जबकि मैं एक रेगुलर आईटी कंपनी में थी. अक्सर लड़के रिजेक्ट करने की कोई ठोस वजह नहीं देते. लेकिन मेरा अनुमान यही है कि मेरी फेमिनिस्ट सोच उनसे मैच नहीं होती है.

दीपशिखा कहती हैं:
एक लड़के के साथ लगभग चार डेट्स पर गई भी. फिर उसने जवाब देना बंद कर दिया. मिलने के दौरान कुछ नहीं कहा. बाद में बताया तुम बहुत प्रोग्रेसिव हो.

कुल मिलाकर, अरेंज मैरिज का व्यापार बाज़ार से परिभाषित सुंदरता के पीछे तो भाग ही रहा है. साथ ही इस सोच से भी घिरा है कि एक मज़बूत, नौकरीपेशा, मॉडर्न लड़की उनके लिए ठीक नहीं होगी.
सिस्टम में क्या दिक्कत है?
गुरमेहर बताती हैं:
पिछली मार्च में, लॉकडाउन के तुरंत पहले एक लड़के से बात फाइनल थी. उनको नौकरी से दिक्कत थी. मुझे वो जम रहा था तो मैंने कॉम्प्रोमाइज किया और नौकरी छोड़ दी. फिर उसने कहा कि वो शादी नहीं करेगा. इनसिक्योरिटी की वजह से. मैं तो पार्टी टाइप लड़की नहीं हूं कि उसे मेरे लोगों से मिलने से डर लगे. उसको मेरे एम्बिशन का डर था. मैं आने वाले समय में उससे ज्यादा सक्सेसफुल न हो जाऊं. मेरी बातें सुनकर मेरे थॉट्स से डर गया वो. अब मुझे लगता है मेरे जीवन की सबसे बड़ी गलती थी नौकरी छोड़ना. अगर मेरी ये बात लड़कियों तक पहुंच रही है. तो वो प्लीज कभी किसी के लिए अपनी नौकरी न छोड़ें. आपका खुद पैसे कमाना सबसे ज़रूरी है. सबसे.

जोहरा कहती हैं:
मैं मुस्लिम कम्युनिटी से हूं और इस्लामिक लॉ ये इजाज़त देता है कि शादी के पहले, एक दायरे में रहकर लड़का-लड़की मिल सकते हैं. लेकिन हम अडॉप्ट ही नहीं करते. साथ ही निकाह का कॉन्सेप्ट ही यही है कि पहले लड़की से इजाज़त मांगी जाए. लेकिन हमेशा लड़की की रजामंदी मानकर ही चलते हैं लोग.

लोग अक्सर लड़की की मर्जी उसके मां-बाप की मर्जी से जोड़कर देखते हैं. (सांकेतिक तस्वीर)
एक बुरी शादी से जूझ रही सोनिया बैंक में काम करती थीं. निजी वजहों से रिजाइन करना पड़ा. फिर शादी हुई तो खुद को असुरक्षित पाया. घरेलू हिंसा का शिकार हुईं. फ़िलहाल तलाक के इंतजार में बैठी सोनिया कहती हैं:
दिक्कत ये है कि हम बात नहीं करते. लड़का अच्छा लग रहा है तो कर लिया. ऐसा नहीं करना चाहिए. जो दिखता है वो हो ही, ज़रूरी नहीं. चाहे सब रिश्तेदार गवाही दें. कम से कम साल भर बात करो. लंबी बातें करो. कभी न कभी तो पता चलेगा न कि कुछ गड़बड़ है.

दीपशिखा कहती हैं:
मां कहती रहती हैं कॉम्प्रोमाइज करना पड़ेगा. मैं समझती हूं. लेकिन उसका भी एक स्तर है. ठीक है, उसकी आदतों की आदत पड़वा सकती हूं. लेकिन अगर ये कॉम्प्रोमाइज मेरे आत्मसम्मान का है. तो वो नहीं होगा. जानबूझकर कौन दुखी रहना चाहता है?

वहीं गुरमेहर, जिनका रोका यानी सगाई हो गई थी. उनके मंगेतर उनसे ऐसी बातें करने लगे थे जिसे लेकर वो उस वक़्त सहज नहीं थीं. बातें कैसी- कि मुझे किस करो, शादी के बाद तुम्हें रातभर सोने नहीं दूंगा, सुबह बिस्तर नहीं छोड़ने दूंगा. कुछ वक़्त बाद इसी लड़के ने कहा कि मैं घरवालों के दबाव में सबकुछ कर रहा था. फिर सगाई टूट गई.

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