आतंकियों के ट्रक में 11 एके-47 रायफल, 29 हैंड ग्रेनेड, 6 यूबीजीएल, बड़ी मात्रा में आरडीएक्स और ग्रेनेड लॉन्चर जैसी मौजूद थीं. ज़ाहिर है ये अस्लहे और गोला बारूद इनके बाकी साथियों तक पहुंचाए जाने थे, जिन्हें आगे मौत के मिशन पर भेजा जाना था. खबर है कि इन आतंकियों को आतंकी अजमल कसाब की तरह ही ट्रेनिंग दी गई थी. अब आपको बताते हैं कि पाकिस्तान में आखिर आतंक की ये ट्रेनिंग दी कैसे जाती है.
आतंक का 'फुल कोर्स'
साल 2018 में जमात-उद-दावा के एक आतंकी को पकड़ा गया था. जिसने आतंकियों के ट्रेनिंग मॉड्यूल का पूरा खाका सुरक्षा एजेंसियों के सामने रख दिया था. पाकिस्तान में आतंक की इस पाठशाला का मॉड्यूल और ट्रेनिंग सेंटर कुछ इस तरह है-
- लड़ाकू प्रशिक्षण, मुरीदके पंजाब
- हथियारों की ट्रेनिंग, हबीबुल्लाह फॉरेस्ट
- मैप औऱ जीपीएस सिस्टम की ट्रेनिंग, मुज़फ्फराबाद
- हमले के दौरान ज़िंदा रहने की कला, मुज़फ्फराबाद
- दीवारें चढ़ना, मुज़फ्फराबाद
- फिदायीन ट्रेनिंग, मुज़फ्फराबाद
- बारूद की ट्रेनिंग, मुज़फ्फराबाद
आतंकियों के सरगना 15-20 साल के पाकिस्तानी युवाओं को 'जिहाद' का हिस्सा बनने और अपना बलिदान देने के लिए बुलाते हैं. उनका नाम, पता और फोन नंबर ले लिया जाता है. टॉप पर संगठन का मुखिया होता है और नीचे जोनल, डिस्ट्रिक्ट, तहसील, टाउन और सेक्टर लेवल पर भर्ती करने वाले मौजूद हैं. इसमें ट्रेनिंग देनेवालों को मसूल और सबसे निचले लेवल वालों को काकरून कहा जाता है. नए लड़ाकों को लगभग दो साल तक ट्रेनिंग दी जाती है.
नए लड़ाकों के लिए मसूल मदरसों के बच्चों को चुनते हैं और उन्हें लाहौर के मुरीदके स्थित सेंटर पर लाते हैं. पकड़े गए आतंकी ने 6 ट्रेनिंग लोकेशंस के बारे में जानकारी दी है और बताया कि इन सेंटर्स को मसकर कहा जाता है. जहां अलग अलग अवधि के लिए आतंकियों को प्रशिक्षण दिया जाता है. ये सेंटर्स कुछ इस तरह से हैं-
- मनशेरा में तारूक, दो महीने
- डैकेन, पांच महीने
- अंबोरे, दो महीने
- अक्सा, दो महीने
- खैबर, दो महीने
- मुरीदके
हर सेंटर पर पाकिस्तानी आर्मी और आईएसआई के लोग मदद के लिए मौजूद रहते हैं. इन मॉड्यूल्स के पूरा हो जाने के बाद संगठन का सरगना लड़ाकों से मुखातिब होता है. 2008 में मुंबई के अंदर फिदायीन हमला करने वाले आतंकियों को भी पाकिस्तान में ट्रेनिंग मिली थी. जिंदा पकड़े गए आतंकी अजमल कसाब ने बताया था कि जैसे ही वो पहली बार लश्कर ए तैयबा के दफ्तर के गेट पर पहुंचा. तो उसकी तलाशी में गुटखे के पाउच मिलने पर उसे बोल दिया गया कि आज के बाद से तुम्हारी जेब में गुटखा मिलना नहीं चाहिए. उसके बाद से कसाब ने गुटखा खाना छोड़ दिया. कसाब की शुरुआती ट्रेनिंग मुरीदके कैंप में हुई थी.
तीन महीने बाद जब कसाब व दूसरे लोगों को दौरा-ए-आमा भेजा गया. तो सबको पक्का मुजाहिद बनाने की ट्रेनिंग दी गई. यहां उसे एके-47, राइफल, पिस्टल चलाने का प्रशिक्षण दिया गया. इसके बाद उसे अगली ट्रेनिंग के लिए मशकरा आक्सा, मुजफ्फराबाद भेजा गया. जहां हथियारों की ट्रेनिंग के अलावा जीपीएस सिस्टम, मैप रीडिंग और सेल्फ डिफेंस का भी प्रशिक्षण दिया गया. यहां उसे ये भी बताया गया कि सिक्युरिटी फोसर्स से कैसे बचना है. यहां उसे 60 घंटे तक लगातार भूखा रहकर पहाड़ी पर चढ़ने को कहा गया. यही नहीं, जब ट्रेनिंग खत्म हुई, तो उसके पहले के तीन दिन भी भूखा रहने को कहा गया था, ताकि वो मज़बूत बन सके.
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