
पति के इशारे पर महिला के साथ बलात्कार करने के आरोपी एक व्यक्ति को बॉम्बे हाईकोर्ट ने जमानत दे दी है। अदालत ने आदमी को इस आधार पर जमानत दी कि यह स्पष्ट नहीं था कि उस व्यक्ति किस परिस्थिति में पीड़िता के साथ यौन संबंध बनाए थे। हलांकि, महिला ने आरोपी की पहचान कर ली थी। टाइम्स नाऊ रिपोर्ट के मुताबिक, जमानत देते समय, अदालत ने यह भी देखा कि चूंकि कथित कृत्य महिला के पति के इशारे पर किया गया था, इसलिए यह भारतीय दंड संहिता (IPC) की धारा 376 के तहत बलात्कार नहीं है।
2015 और 2018 के बीच महिला के साथ बलात्कार हुआ-
मुंबई हाई कोर्ट के न्यायमूर्ति पीडी नाइक की अदालत को सूचित किया गया था कि 2015 और 2018 के बीच महिला के साथ बलात्कार के आरोपी व्यक्ति को जांच के दौरान गिरफ्तार किया गया था। शिकायतकर्ता ने आरोप लगाया कि उसके पति ने अपनी मौजूदगी में महिला को अन्य व्यक्तियों के साथ यौन संबंध बनाने के लिए मजबूर किया था।
महिला के मुताबिक, उसकी शादी 2009 में एक ऐसे शख्स से हुई थी, जो मर्चेंट नेवी में काम करता था। महिला ने आरोप लगाया कि 2015 में जहाज से लौटने के बाद, उसके पति ने अपने दोस्त को अपने घर बुलाया। पति के साथ बैठकर उस शख्स ने शराब का सेवन किया और इसके बाद कथित तौर पर शिकायतकर्ता के साथ यौन उत्पीड़न किया।
पति ने दोस्त को पत्नी के साथ यौन संबंध बनाने के लिए कहा-
इस घटना के अगले दिन, शिकायतकर्ता ने आरोप लगाया, उसके पति ने रात में जो कुछ भी उसके दोस्त व पत्नी के बीच हुआ उसे अपने मोबाइल वीडियो में कैद कर लिया है और उसके पति ने बताया कि अपने दोस्त को उसके साथ यौन संबंध बनाने के लिए उसी ने कहा था। शिकायतकर्ता ने आगे आरोप लगाया कि पति ने उसे अपनी मांगों को मानने के लिए मजबूर किया, ऐसा नहीं करने पर उसने उसे वीडियो वायरल करने की धमकी दी।
उसने यह भी दावा किया कि उसके पति ने भी उसका यौन शोषण किया और उसे अप्राकृतिक यौन संबंध बनाने के लिए मजबूर किया। फरवरी 2019 में, महिला ने आखिरकार अपने पति और अन्य पुरुषों के खिलाफ यौन उत्पीड़न के लिए शिकायत दर्ज करने का फैसला किया।
प्रथम दृष्टया यह प्रतीत होता है कि धारा 376 आवेदक के खिलाफ नहीं लगाए जा सकते: कोर्ट
अभियुक्तों के वकील ने अदालत को बताया कि यद्यपि घटनाएं 2015 और 2018 के बीच हुई थीं, 2019 में शिकायत दर्ज की गई थी और इस प्रकार साफ है कि इस प्राथमिकी को दर्ज करने में काफी देरी हुई।
पीठ ने सुनवाई के दौरान कहा कि प्रथम दृष्टया यह प्रतीत होता है कि धारा 376 आवेदक के खिलाफ नहीं लगाए जा सकते हैं। चूंकि मुकदमे की जांच अभी लंबित है, इसलिए इस मामले में वारंट को मंजूरी नहीं दी जा सकती है। इस तरह डेढ़ साल से हिरासत में बंद आरोपी को अदालत ने जमानत दे दी है।
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