आपको ये बात जरुर कुछ अजीब लगेगी लेकिन ये सच है |दरअसल गूंथे हुए आटे को उसी तरह पिण्ड के बराबर माना जाता है जो पिण्ड मृत्यु के बाद जीवात्मा को समर्पित किए जाते हैं। किसी भी घर में जब गूंथा हुआ आटा फ्रिज में रखने की परंपरा बन जाती है तब वे प्रेत और पितर जो पिण्ड पाने से वंचित रह जाते हैं वे फ्रिज में रखे आटा रूपी पिण्ड का भक्षण करने के लिए घर में आने शुरू हो जाते हैं।इनमें अधिकतर वे आत्माएं होती है जिन्हें उनके घरवालों ने भुला दिया या जिनकी अब तक मुक्ति नहीं हो सकी है.
यदि हम पौराणिक शास्त्रों के अनुसार देखे तो बासी खाना प्रेतों का भोजन होता है और इसका भक्षण करने वाला व्यक्ति जीवन में निराशा, बीमारी, क्रोध और चिड़चिड़ेपन से घिरा रहता है। जबकि ताजा खाना तन-मन को स्वस्थ रखने के साथ ही मन-मस्तिष्क को निर्मल और शरीर को रोगमुक्त बनाए रखता है
जब भूत-प्रेतों के घर में आने का सिलसिला शुरू हो जाता है तो घर में अनेकों समस्याएं आने लगती हैं. इस तरह बचे हुए आटे को रखने वाले सभी घरों में किसी न किसी प्रकार के अनिष्ट देखने को मिलते हैं और घर में रहने वालों की भी तरक्की नहीं हो पाती है.
सेहत के लिए नुकसानदायक
शास्त्रों के अनुसार तो बचा हुआ आटा हमारे अनिष्ट का कारण बनता ही है उसके साथ साथ इसके पीछे वैज्ञानिक कारण भी है इसीलिए यदि हम वैज्ञानिक रूप से देखा जाए तो फ्रिज में घंटों तक रखे हुए बासी आटे से बनी रोटी को खाना शरीर के लिए भी नुकसानदेह होता है. ऐसे घरों में अक्सर बीमारियां, क्रोध, आलस का वास होने लगता है.ऐसा भोजन तामसिकता को तो बढ़ावा देता ही है साथ में शरीर को रोगों का घर बना देता है जबकि ताजा भोजन शरीर और सेहत के लिए काफी फायदेमंद होता है.
शास्त्रों की मानें को हमें ऐसी किसी भी चीज को घर में जगह नहीं देनी चाहिए जो भूत-प्रेतों को किसी भी तरह से बुलाने की क्षमता रखती हो.आटा गूंथने में लगने वाले समय बचाने हेतु किया जाने वाला यह चलन शास्त्र विरुद्ध और अनुचित है।हमारे पूर्वज सैदेव यही राय देते आए हैं कि गूंथा हुआ आटा रात को नहीं रहना चाहिए। उस जमाने में रेफ्रिजरेटर का कोई अस्तित्व नहीं था फिर भी हमारे पूर्वजों को इसके पीछे के रहस्यों की पूरी जानकारी थी।
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