आजकल के माँ बाप अपने बच्चों को पढ़ाने के लिए क्या क्या नहीं करते, वैसे भी स्कूल की फीस इतनी ज़ादा हो गयी है कि इस महंगाई के दौर में बच्चों को पढ़ा पाना भी एक बहुत बड़ा चैलेंज है। अपना पेट काट काट कर बच्चों को पढ़ाना कोई आसान बात नहीं है। लेकिन इतने महंगे स्कूल में पढ़ने के बाद भी बच्चों में किसी भी प्रकार का इम्प्रूवमेंट देखने को कम ही मिलता है। वैसे भी अब पढ़ाई सिर्फ पढ़ाई न होकर एक खेल बन गयी है, और कंप्यूटर शिक्षा का होना भी ज़रूरी हो गया है, बच्चा भले कुछ न जाने लेकिन कोम्पुटर के बारे में जानकारी होना बहुत ज़रूरी है।
जब होम लोग छोटे थे तो अपनी गन्दी हैंडराइटिंग की लिए टीचर से और माँ बाप से बहुत मार खाते थे, क्युकी हैंड राइटिंग की ही वजह से जो भी हम लिखते थे वो या पढ़ने में नहीं आता था या फिर गन्दी लिखावट देख ही टीचर को गुस्सा आने लगता था तो पिटाई भी जो जाती थी। लेकिन ख़राब हैंडराइटिंग का सबसे बड़ा नुकसान तो एग्जाम में दिखाई देता था, हमने चाहे जितना भी सही जवाब लिखा हो लेकिन अगर वो पढ़ने में ही नहीं आ रहा है तो टीचर का नंबर काट लेना लाज़मी होता था। लेकिन कुछ बच्चों की हैंडराइटिंग इतनी अच्छी होती है जिसे देख कर लगता है कि यह हाथ की लिखावट नहीं बल्कि कम्प्यूटर से प्रिंटआउट निकाला गया हो।
नेपाल की रहने वाली प्रकृति मल्ला आठवीं क्लास की छात्रा हैं और लिखावट ऐसी हैं मानो वो हांथों की लिखावट न होकर कोम्पुटर का प्रिंट आउट हो। अच्छी लिखावट होने से इम्प्रैशन अच्छा पड़ता है। वैसे प्रकृति की ऐसी हैंड राइटिंग होना कोई कुदरती नहीं हैं, वे इसके लिए बहुत प्रैक्टिस भी करती हैं।
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