दरअसल ये मामला सामने आने का पहलू भी दिलचस्प है। स्वास्थ्य महकमे ने अभी हाल में परिवार नियोजन के आंकड़े जारी किए तो पता चला कि कोरोना काल में सिर्फ एक ही पुरुष की नसबंदी हुई है। ऐसे में जिज्ञासा हुई कि जब कोरोना काल में लोग घर से बाहर नहीं निकल रहे थे। ऐसे में क्या जरुरत पड़ी कि किसी व्यक्ति ने नसबंदी करा ली तो ये मामला सामने आया।
पिछले आठ महीनों में जिला अस्पताल में महज एक पुरुष ने ही नसबंदी कराई। जबकि इसी दौरान 71 महिलाओं ने परिवार नियोजन को अपनाया।
अब खुशहाल परिवार दिवस के जरिए महकमा फिर से परिवार नियोजन पर जोर दे रहा है।
पिछले साल से कम पहुंचे लोग
इस साल अप्रैल से नवंबर तक भले ही एक पुरुष और 71 महिलाओं ने नसबंदी कराई हो। लेकिन पिछले साल के आंकड़े अलग थे। आंकड़ों के मुताबिक वर्ष 2019 में अप्रैल से नवंबर महीने के बीच 12 पुरुषों ने नसबंदी कराई थी। वहीं, 325 महिलाओं ने परिवार नियोजन अपनाया था।
क्या कहना है सीएमएस का
जिला महिला अस्पताल की सीएमएस डा. अलका शर्मा का कहना है कि परिवार नियोजन को बढ़ावा देने के लिए विशेष अभियान चलाए जा रहे हैैं। इस साल के आंकड़ों को दुरुस्त करने के लिए ही खुशहाल परिवार दिवस भी हर माह की 21 तारीख को मनाने का फैसला हुआ है। आपको निचे दी गयी ये खबरें भी बहुत ही पसंद आएँगी।
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