
हर एक चीज की कीमत होती है। हमने अक्सर ये वाक्य किसी न किसी से सुना होगा। क्या कभी आपने सोचा है कि जिस नोट की कीमत होती है वह कौन तय करता है? अगर भारतीय रूपये की बात की जाए तो इसपर “मै धारक को ‘इतने’ रूपये अदा करने का वचन देता हूँ” लिखा होता है।
क्या आपने कभी सोचा है कि यह वचन किसका होता है और यह क्यों लिखा होता है। यह सवाल कई बार इंटरव्यू में भी पूछा जा चुका है इसलिए आपको इसका जवाब मालूम होना चाहिए। अगर आपको नहीं पता तो आइये इस बारें में विस्तार से जानते हैं।
“मैं धारक को रुपये अदा करने का वचन देता हूँ” इसका मतलब ?
यह वाक्य RBI गवर्नर की शपथ होती है। इसका मतलब होता है कि नोट की कीमत देने का दायित्व RBI के गवर्नर का है। आपको बता दें कि भारत में नोट छापने का काम रिजर्व बैंक करता है। एक रुपये को छोड़कर सभी नोटों पर RBI गवर्नर के हस्ताक्षर होते हैं।
भारत में मुद्रा और बैंक से जुड़े तमाम नियमों और कामों को केन्द्रीय बैंक ‘भारतीय रिज़र्व बैंक ऑफ़ इंडिया’ (RBI) देखता है। जितने भी नोट होते हैं उन सब पर RBI के गवर्नर के हस्ताक्षर होते हैं बाकी 1 रुपए के नोट पर वित्त सचिव के हस्ताक्षर होते हैं।
भारतीय रिज़र्व बैंक की स्थापना 1 अप्रैल 1935 को भारतीय रिज़र्व बैंक अधिनियम, 1934 के तहत हुई थी। RBI का मुख्यालय मुंबई में है। भारतीय रिज़र्व बैंक अधिनियम, 1934 के आधार पर मुद्रा प्रबंधन की भूमिका प्रदान की गयी थी। भारतीय रिज़र्व बैंक अधिनियम की धारा 22 के तहत RBI को नोट जारी करने का अधिकार देती है।
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