
जयपुर: ज्यो’तिष शास्त्र के अनुसार ही वास्तु शास्त्र भी जीवन में बहुत मायने रखता है। वास्तु का जीवन पर बहुत प्रभाव भी पड़ता है। वैसे तो घर पूर्व दिशा में ही शुभ होते हैं। दक्षिण दिशा के मकान की कुछ परि’स्थिति को छोड़कर अशुभ माना जाता है। आज हम दक्षिण’मुखी मकान के दोष के बारे में जानेंगे। जिसका कुछ उपाय करके दूर किया जा सकता है। वो परि’स्थियां कौन सी हैं और क्या है दोष दूर करने के उपाय जानते हैं।
दक्षिण’मुखी मकान
पूर्व में सूर्य, आग्नेय में शुक्र, दक्षिण में मंगल, नैऋ’त्य में केतु, पश्चिम में शनि, वायव्य में चंद्र, उत्तर में बुध, ईशान में बृह’स्पति का प्रभाव रहता है। वास्तु’शास्त्र में दक्षिण दिशा का मुख्य दरवा’जा शुभ नहीं माना जाता है। इसे संकट का द्वार भी कहते हैं।
अगर आपका घर दक्षि’णमुखी होकर है तो गृहस्वामी को कष्ट, भाइयों से कटुता, क्रोध की अधिकता और दुर्घट’नाएं बढ़ती हैं। रक्तचाप, रक्त विकार, कुष्ठ रोग, फोड़े-फुंसी, बवासीर, चेचक, प्लेग आदि रोग होने की आशंका रहती है। इस दिशा में रहने से आक’स्मिक मौत के योग भी बनते हैं।
दक्षिण दोष निवारण
यदि दक्षिण’मुखी मकान के सामने मेन दरवाजे से दोगुनी दूरी पर स्थित नीम का हराभरा वृक्ष है या मकान से दोगना बड़ा कोई दूसरा मकान है तो दक्षिण दिशा का असर वा’स्तु दोष कुछ हद तक ख’त्म हो जाएगा।
पंचमु’खी हनुमानजी की तस्वीर
इसके अलावा दरवाजे के ऊपर पंचमुखी हनुमानजी की तस्वीर भी लगाने से वास्तु दोष ख’त्म होते है। बगीचे में छोटे पौधे पूर्व-ईशान में लगाने से भी दक्षिण का दोष कम हो जाता है।
कम खुला स्थान छोड़ा
दक्षिण मुखी प्लाट में मुख्य दरवाजा आग्नेय कोण में बना है और उत्तर तथा पूर्व की तरफ ज्यादा व पश्चिम व दक्षिण में कम से कम खुला स्थान छोड़ा गया है तो भी दक्षिण का दोष कम हो जाता है।
लाल या महरून रंग
आग्नेय कोण का मु’ख्य दरवाजा यदि लाल या महरून रंग का हो, तो श्रेष्ठ फल देता है। इसके अलावा हरा या भूरा रंग भी चुना जा सकता है। किसी भी परि’स्थिति में मुख्य’द्वार को नीला या काला रंग प्रदान न करें।
इस कोण में दरवाजा अशुभ फल’दायी
दक्षिण मुखी भूख’ण्ड का दरवाजा दक्षिण या दक्षिण-पूरब में कभी नहीं बनाना चाहिए। पश्चिम या अन्य किसी दिशा में मुख्य दरवाजी लाभकारी होता हैं।
नकारा’त्मक उर्जा पलटकर वापस
यदि दरवाजा दक्षिण की तरफ है तो दरवाजे के ठीक सामने एक आद’मकद आईना इस तरह लगाएं, जिससे घर में प्रवेश करने वाले व्य’क्ति का पूरा प्रतिबिंब दर्पण में बने। इससे घर में प्रवेश करने वाले व्यक्ति के साथ घर में प्रवेश करने वाली नकारा’त्मक उर्जा पलट’कर वापस चली जाती है।
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