
खतना शब्द का अर्थ होता है काटना। खतने को लेकर कई सारे विवाद है। खतने के समर्थन में दिये जाने वाले तर्कों में ये तर्क शामिल हैं कि ये महत्वपूर्ण स्वास्थ्य लाभ देता है, जो खतरों से अधिक महत्वपूर्ण है, यौन-क्रियाओं पर इसके कोई बड़े प्रभाव नहीं होते, किसी अनुभवी चिकित्सक द्वारा किये जाने पर इसमें जटिलता की दर कम होती है और इसे नवजात काल में सर्वश्रेष्ठ रूप से किया जाता है।

रिवाज और प्रथाओं के नाम पर अमानवीय व्यवहार होता है मुस्लिम लडकियों के साथ आए दिन ऐसी घटना सामने आती है लेकिन फिर भी कोई इसे रोक नहीं पाता। खतना के नाम पर ये प्रथा अत्यंत क्रूर और अमानवीय ही नहीं बल्कि समाज और देश के कानून और संविधान की भी खिल्ली उडाता नज़र आता है।
जरा सोचिए कैसा लगता होगा जब एक साल की दुधमुंही बच्ची के हाथ-पैर कुछ औरतें पकड़कर और चाकू या ब्लेड से उसकी भगनासा (क्लाइटोरल हुड) काट देती है फिर भगनासा और उसके आसपास के भगोष्ठ को बुरी तरह से छील दिया जाता है कई बार इस से बच्चियों की मौत भी हो जाती है। उस खून से लथपथ बच्ची को कितनी पीड़ा हो रही होगी आखिर वो महीनों तक इस दर्द को क्यों बदर्ाश्त करे उसकी गलती सिर्फ इतनी है कि वो मुस्लिम समुदाय में जन्म ले ली। इन्ही में से कुछ बच्चियां जो पैसे वाले घर की होती तो उनका ये काम डॉक्टर एनेस्थीसिया देकर करता।
अफ्रीकी देशों के जनजातीय मुखियाओं का दावा है कि जिन लड़कियों का खतना नहीं होता है, वे अपनी भावनाओं पर काबू नहीं रख पाती हैं। केन्या की रिफ्ट घाटी में यह महिला अब तक चार लड़कियों का खतना कर चुकी है, वो भी एक ही रेजर से। पोकोट लोगों की मान्यता है कि खतने किसी लड़की के महिला बनने की प्रक्रिया का प्रतीक है। कई देशों में इस पर पाबंदी लगी होने के बावजूद आज भी कुछ ग्रामीण इलाकों में चलन जारी है। ऐसा दर्दनाक काम धारदार ब्लेड से किया जाता है। दर्दनाक खतना करने से प्राइवेट पार्ट में इंफैक्शन और दर्द न सहने की वजह से उनकी मौत भी हो जाती है।

अन्ना मूरा इस काम को पिछले 70 सालों से कर रही हैं हांलाकि इससे होने वाली लड़कियों की मौतें और इंफैक्शन के केस इतने ज्यादा हैं कि इसे वहां की सरकार ने गैर-कानूनी करार दिया है। फिर भी लोग इस काम को करने में बढ़-चढ़कर हिस्सा लेते हैं। कई लड़कियां मासिक धर्म के दौरान बहुत दर्द महसूस करती हैं।
खतने का दुष्परिणाम ये निकलता है कि शादी के बाद पति से भी सेक्स संबंध बनाने में लड़की की रूचि कम हो जाती है, क्योंकि सहवास के दौरान उसे बहुत कष्ट होता है और उसे इस प्रक्रिया में कोई आनंद भी नहीं मिलता है। खतना से पीड़ित दुनियाभर में हर साल लगभग करीब 20 करोड़ बच्चियों या लड़कियों का खतना होता है। इनमें से आधे से ज्यादा सिर्फ तीन देशों में हैं, मिस्र, इथियोपिया और इंडोनेशिया। फिलहाल इस दुनिया में कई लोग इसका विरोध कर रहे है।
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