
43 लाख के बकाया टैक्स का नोटिस मिला तो पीड़ित ने रिपोर्ट दी, लेकिन गैर इलाका बता एफआर लगा रही पुलिस यह किसी भी फर्जीवाड़े की हद है। पाली में रोहट के पास छोटे से गांव डूंगरपुर के एक दिहाड़ी मजदूर नैनाराम मेघवाल को जीएसटी फ्रॉड गैंग ने कागजों में 23.80 करोड़ का हीरा कारोबारी बना दिया। एक नरेगा मेट के जरिए धोखे से मजदूर के दस्तावेज हासिल किए फिर उसके नाम से फर्जी कंपनी खोल जीएसटी चोरी व बोगस बिलिंग शुरू कर दी।
कच्चे झोपड़ेनुमा मकान में रहने वाले इस मजदूर को हाल ही में सेल्स टैक्स की ओर से 43.51 लाख रुपए के बकाया टैक्स का नोटिस मिला। नोटिस देखते ही उसके पैरों तले से जमीन खिसक गई। उसने कोर्ट के जरिए रोहट थाने में केस दर्ज कराया। यहां से उसका दूसरा संघर्ष शुरू हो गया। रोहट पुलिस मामले को जोधपुर पुलिस और जोधपुर पुलिस रोहट पुलिस के पाले में डालने लगी। रोहट पुलिस ने तो केस को ‘गैर इलाका’ मानते हुए एफआर लगाने की अनुशंषा भी कर दी।

रोहट के डूंगरपुर में नैनाराम का कच्चआ घर।
वहीं सेंट्रल जीएसटी ने ऐसी कारस्तानियां करने वाले गिरोह के मास्टरमाइंड देव अडानिया को गत 15 अक्टूबर को गिरफ्तार कर लिया, लेकिन उसके नेटवर्क से जुड़ी ऐसी अन्य कड़ियों को छुआ तक नहीं। धरातल पर ऐसे ही कुछ अन्य पीड़ितों को ढूंढती, तो मास्टरमाइंड और उसके सहयोगियों पर भी कानूनी शिकंजा और मजबूती से कसा जा सकता था।
परिचित मेट बोला- पैन कार्ड बनवा ले, काम आएगा... इसी झांसे में फंस गया

दिहाड़ी मजदूर नैनाराम मेघवाल ।
पीड़ित की जुबानी गिरोह की कारस्तानी मैं तो अपने गांव डूंगरपुर सरगरों का बास में रहकर मजदूरी करता हूं। अनपढ़ हूं, सिर्फ दस्तखत करना जानता हूं। करीब डेढ़-दो साल पहले मेट वेनाराम पटेल मेरे घर आया और बोला कि तेरे नाम का पैन कार्ड बनवा ले, बहुत काम आता है। उस पर विश्वास कर मैंने आधार कार्ड, परिचय पत्र व फोटो दे दी। कुछ समय बाद वह मुझे रोहट पोस्ट ऑफिस ले गया और पैन कार्ड दिलवाया। फिर रास्ते में मुझसे पैन कार्ड ले लिया। कुछ दिन बाद वह मुझे जोधपुर ले गया। वहां एक व्यक्ति से मिलवाया। इन दोनों ने कुछ खाली पेपरों पर साइन कराए। उस दिन खाता नहीं खुला, तो कुछ दिन बाद वो दुबारा जोधपुर ले गया। उसी अनजान व्यक्ति के साथ ले जाकर एक बैंक में खाता खुलवाया। फिर कुछ खाली व छपे हुए कागजों पर साइन कराए।
नोटिस आया तो सहम गया पूरा परिवार
एक जनवरी को मुझे जोधपुर में सेल्स टैक्स विभाग से सहायक आयुक्त करापवंचन से एक नोटिस आया, तो मैं हैरान रह गया। विभाग में गया तो अफसरों ने बताया कि मेरे नाम से तिरूपति ट्रेडिंग कंपनी खुली हुई है। इसमें 23 करोड़ 80 लाख, 59 हजार 932 रुपए के रिटर्न भरे जाने और 43 लाख 51 हजार 908 रुपए का टैक्स बकाया बताया।
अफसरों ने बताया कि मेरे नाम से सोना-चांदी, हीरा-जवाहरात का कारोबार किया गया है। अफसरों ने मेरे साइन किए हुए चेक दिखाए, तो मुझे वेनाराम द्वारा धोखा दिए जाने का अहसास हुआ। वेनाराम ने जिन खाली स्टाम्प पेपर पर साइन कराए थे उन पर फर्जी भाड़ाचिट्ठी लिखी गई थी। कुड़ी भगतासनी के उस पते वाले मकान-दुकान मालिक को भी नहीं जानता। गांव पहुंचकर वेनाराम को ओळबा दिया, तो बोला- तुझे कहीं जाने की जरूरत नहीं है। मैं सब संभाल लूंगा। उसने धोखा किया, इसलिए मुझे उसकी बात पर विश्वास नहीं हुआ और केस दर्ज कराया।
इधर, पुलिस का सितम- क्राइम जोधपुर में किया गया इसलिए एफआर की अनुशंषा
अब गरीब मजदूर को पुलिस टरका रही है। उसने कोर्ट के जरिए रोहट थाने में केस दर्ज कराया, लेकिन आईओ ने केस को ‘गैर इलाका’ मानते हुए एफआर लगाने की अनुशंषा कर दी। उप अधीक्षक श्रवणदास ने बताया कि परिवादी से आरोपी ने दस्तावेज भले ही उसके घर से लिए, लेकिन अपराध जोधपुर में किया। अकाउंट खोलने की प्रक्रिया जोधपुर में हुई। पैन कार्ड रोहट से जारी कराया और आधार कार्ड परिवादी के घर से लिया, लेकिन यहां क्राइम नहीं हुआ। जबकि, हकीकत यह है कि क्राइम की पूरी साजिश रोहट से ही शुरू हुई थी।
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