
नई दिल्ली. इन दिनों पेट्रोल डीजल के दाम आसमान छू रहे हैं. इस समय देश के लगभग हर शहर में पेट्रोल और डीजल के रेट ऑल टाइम हाई पर चल रहे हैं. लेकिन जल्द महंगे पेट्रोल-डीजल से राहत मिल सकती है. दरअसल, अंतर्राष्ट्रीय बाजार में कच्चे तेल का भाव 15 दिन में 10% गिर चुका है. यूरोप में कोरोना की तीसरी लहर के चलते वहां ईंधन की मांग घटने की संभावना है. इसके चलते कच्चे तेल की कीमत 71 डॉलर प्रति बैरल की ऊंचई से गिरकर 64 डॉलर प्रति बैरल पर आ गई हैं.
इस आधार पर तय होती है पेट्रोल डीजल की कीमत
विदेशी मुद्रा दरों के साथ अंतर्राष्ट्रीय बाजार में क्रूड की कीमतें क्या हैं, इस आधार पर रोज पेट्रोल और डीजल की कीमतों में बदलाव होता है. पेट्रोल व डीजल के दाम में एक्साइज ड्यूटी, डीलर कमीशन और अन्य चीजें जोड़ने के बाद इसका दाम लगभग दोगुना हो जाता है. अंतरराष्ट्रीय बाजार में कच्चे तेल के दाम गिरने से घरेलू ऑयल मार्केटिंग कंपनियां पेट्रोल और डीजल की कीमतें घटा सकती हैं.
पिछले दो हफ्ते में क्रूड में आई गिरावट
ओपेक प्लस के देशों ने उत्पादन में कटौती का फैसला जारी रखने का फैसला किया था. इससे ब्रेंट क्रूड का दाम 70 डॉलर प्रति बैरल के पार चला गया था. लेकिन, पिछले दो हफ्ते में क्रूड में बड़ी गिरावट आई है. इसकी वजह यह है कि कई देशों में फिर से कोरोना के मामले बढ़ रहे हैं. यूरोप के कुछ देशों ने लॉकडाउन जैसे प्रतिबंध लगा दिए हैं. आगे इस तरह की और पाबंदियां दिख सकती हैं. इससे क्रूड पर दबाव बढ़ सकता है.
मौजूदा ईंधन की कीमतों में लगभग टैक्स का हिस्सा 60 फीसदी है, जो रिकॉर्ड स्तर पर है. इसके बावजूद केंद्र सरकार ने करों में कमी करने से इनकार कर दिया है, जबकि कुछ राज्यों ने छोटी मोटी कटौती की है. बता दें कि ईंधन पर दोनों सरकारों की तरफ से टैक्स लिया जाता है.
कोरोना महामारी के चलते ऊंचे कर
चालू वित्त वर्ष में अप्रैल से जून के बीच कोरोना के चलते कड़ा लॉकडाउन रहा. इसके बाद कर राजस्व के नुकसान की भरपाई के लिए कच्चे तेल की अंतरराष्ट्रीय स्तर पर कम कीमतें होने के बावजूद केंद्र और राज्य सरकारों की ओर से पेट्रोल-डीजल पर ऊंचा कर वसूला. केंद्र सरकार चालू वित्त वर्ष के शुरुआती 10 महीने में इस मद से तीन लाख करोड़ रुपये का राजस्व जुटा चुकी है जो इससे पिछले पूरे वित्त वर्ष में 1.8 लाख करोड़ रुपये था.
GST के दायरे में लाने से घट सकती है कीमत
अब पेट्रोल और डीजल को जीएसटी के दायरे में लाने पर भी विचार किया जा रहा है. एसबीआई इकोनॉमिस्ट ने अपनी रिपोर्ट में कहा है कि पेट्रोल को अगर गुड्स एंड सर्विसेज टैक्स के दायरे में लाया जाता है तो इसका खुदरा भाव इस समय भी कम होकर 75 रुपए प्रति लीटर तक आ सकता है. केंद्र और राज्य सरकारों की तरफ से लगाए जाने वाले टैक्स के कारण भारत में पेट्रोलियम प्रोडक्ट सबसे महंगा है. जीएसटी में लाने पर डीजल का दाम भी कम होकर 68 रुपए लीटर पर आ सकता है.
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