हाइली क्वालिफाइड, रिच और सभी सुख-सुविधाओं से पूर्ण जीवन को छोड़ कर 22 साल की उम्र में महाराष्ट्र के जलगांव (Jalgaon in maharashtra) की एक लड़की ने संन्यास लिया है. इस युवा संन्यासी लड़की का नाम दिक्षा बोरा (Diksha Bora) है. अब इन्हें संयमश्री जी महाराज के नाम से जाना जाएगा. शिक्षा ग्रहण करने के दौरान ही दिक्षा ने सन 2013 के एक जैन धर्म से जुड़़े कार्यक्रम में हिस्सा लिया, वहीं दिक्षा ने संन्यास (Sanyas) धर्म ग्रहण करने का निश्चय कर लिया. लेकिन इसके लिए घरवालों की इजाजत लेने की जरूरत थी. इस इजाजत को लेने के लिए दिक्षा को करना पड़ा 8 साल का इंतजार. जब घर वालों को भी यह लगा कि दिक्षा का मन अध्य़ात्म में ही रमने वाला है. दिक्षा को सांसारिक जीवन में खींच कर तो रखा जा सकता है लेकिन उसकी मर्जी यहां रहने की नहीं है.
दिक्षा बोरा, जो अब संयमश्री जी महाराज के नाम से जानी जा रही है, पुणे से बीबीए की पढ़ाई पूरी की है. दिक्षा बोरा एक राष्ट्रीय स्तर की मैराथन धाविका भी रह चुकी हैं. एजूकेशन के दौरान वे खेल, डिबेट, कला, गायन और भाषण में अपने हुनर का लोहा मनवा चुकी हैंं.
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