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किसानों ने लगाया तगड़ा दिमाग। गेहूं धान की खेती छोड़ कर इसकी कर रहे खेती। Bumper हो रही कमाई



गेहूं और धान जैसी फसलों को खेती छोड़कर नगदी वाली सब्जियों में किसानों को फायदा हो रहा है। इसमें लागत भी कम होती है जिसके कारण जिले के किसान हाइड्रोपोनिक फार्मिंग करके सब्जी और फलों की खेती करके तगड़ी कमाई भी कर रहे हैं।

वहीं क्षेत्र के कुछ किसान इस फसल को पाली हाउस और शेडनेट के जरिये उगा रहे हैं।

कायमगंज के हाजीपुर निवासी किसान जयकुमार बताते हैं कि वह बचपन से ही सब्जियों की खेती में करते आ रहे हैं जिससे उन्हें तगड़ी कमाई होती है। वही किसान का यहां तक कहना है की इस फसल से उन्हें आज तक कोई नुकसान नहीं हुआ है बल्कि रोजाना की होने वाली बिक्री से नगदी रुपए भी मिलते हैं। किसान ने बताया की हम आमतौर पर प्रति बीघा का 2 से ₹3000 की लागत आती है।

दो प्रकार से कर रहे हैं कमाई

किसान जय कुमार ने बताया कि गर्मियों की इन दिनों में बाजार में खीरे की तगड़ी डिमांड है। हर कोई इसे सलाद के साथ विभिन्न व्यंजनों में भी खीरे का प्रयोग करते हैं। जिसके कारण इसके अच्छी बिक्री है। वही जब सीजन में जाने के बाद खीर बड़े हो जाते हैं तो फसल पककर तैयार हो जाती से निकलने वाले बीजो को मार्केट और अन्य मंडियों में प्रति किलो के हिसाब से बिक्री करते हैं जिससे उन्हें एक बीघा में 40 से ₹50000 का मुनाफा होता है।

खर्चों से छुटकारा दिलाता है

जैविक खाद किसान जब से अपने खेतों में ये फसल करते आ रहे है तब से उन्हें इस खेती के लिए अधिक मेहनत नहीं करनी पड़ती है। यह फसल तीन से चार महीना में उपज देने लगती है। ऐसे समय में भीषण गर्मी भी होती है जिसके कारण वह शाम को ही खीरे की फसल खेत से निकाल लेते हैं । सुबह ही बाजार में बिक्री कर देते हैं। इस कार्य में उन्हें अत्यधिक मजदूर भी नहीं लगाने पड़ते और दूसरी और बिक्री भी अच्छी हो जाती है।

खेती कैसे की जाती है

किसान ने बताया कि सबसे पहले खेत को अच्छे समतल करके क्यारियां बनाकर पहले से तैयार की गई खीरे के बीज या नर्सरी के पौधों को प्रत्येक मीटर पर दो पोधो को रूप देते हैं । समय से इसमें सिंचाई करते हैं। इसके बाद जब पौधे बड़े होने लगते हैं तो उनको तोड़कर मंडी में बिक्री कर देते हैं। इसके बाद जब खीर बड़े हो जाते हैं तो उनके बीज निकल आते हैं दिन को सुखाकर सफाई के साथ अच्छे से पैक करके मंडी में प्रति किलो की दर से बिक्री करते हैं।

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