जान दे दूंगी लेकिन तुम्हें छोड़ कर नहीं जाऊंगी. जीऊंगी तो तुम्हारे ही साथ, वरना भूखी मर जाऊंगी. यह जिद पति के साथ रहने की इच्छा करने वाली एक महिला की है, जो झारखंड से सैकड़ों किलोमीटर दूर का सफर तय कर रावतभाटा पति के घर आई, और साथ रहने की इच्छा लेकर पति की दहलीज पर आमरण अनशन पर बैठ गई. परमाणु बिजलीघर में वैज्ञानिक अधिकारी पति किसी भी हाल में पत्नी को साथ नहीं रखना चाहता और पत्नी है कि पति से दूर रहना नहीं चाहती. ये अजीबोगरीब वाकया चित्तौड़गढ़ जिले के रावतभाटा का है, जिसमें झारखंड निवासी एक महिला पूनम पति के साथ रहने की जिद को लेकर पति की चौखट पर धरना देकर अनशन पर बैठ गई.
पति संग रहने के लिए पत्नी ने किया आमरण अनशन पूनम झारखंड से अपनी बहन के साथ झारखंड से रावतभाटा पति के घर आई थी. उसका पति परमाणु बिजलीघर में वैज्ञानिक अधिकारी के पद पर है. रावतभाटा आने के बाद सबसे पहले पूनम ने बहन के साथ दिनभर परमाणु बिजलीघर की आवासीय कॉलोनी में घूमकर अपने पति का घर तलाश किया. उसके बाद अपनी बहन को झारखंड भेजने के बाद शनिवार देर शाम 7 बजे वो पति के साथ रहने की जिद लेकर पति के घर की दहलीज के बाहर आमरण अनशन का प्रण लेकर धरने पर बैठ गई. पूनम का कहना था कि जब तक पति खुद घर का दरवाजा खोलकर उसे अंदर बुला नहीं लेते, उसे हाथों से खाना नहीं खिलाते और पत्नी होने का अधिकार नहीं देते तब तक उसका आमरण अनशन जारी रहेगा.
40 घंटे से ज्यादा समय तक बैठी रही भूखी-प्यासी शनिवार को पति के साथ रहने की जिद को लेकर परमाणु बिजलीघर की आवासीय कॉलोनी स्थित पूनम पति की दहलीज पर 40 घंटे से ज्यादा समय तक भूखी-प्यासी बैठी रही. इस दौरान पति घर आता जाता रहा, लेकिन दहलीज पर बैठी पत्नी को नजर अंदाज करता रहा. रविवार रात को वो क्वार्टर के ताला लगा अपने माता-पिता को साथ लेकर कहीं चला गया. इस बीच भूख प्यास से पूनम की तबीयत बिगड़ गई. जिसके बाद मामले की जानकारी मिलने पर कांग्रेस जिला महामंत्री वंदना शर्मा ने महिला की सुध ली. जिला महामंत्री वंदना शर्मा अन्य महिला कार्यकर्ताओं के साथ परमाणु बिजलीघर की कॉलोनी पहुंची, जहां भूख और प्यास से बेहाल पूनम से समझाइश की, और काफी प्रयासों के बाद उसे मनाकर अपने हाथों से खाना खिलाया. इसके बाद रावतभाटा निवासी चचेरे भाई को बुलाकर उसके साथ घर भेज दिया.
कोर्ट में तलाक की अर्जी हो चुकी है खारिज पूनम का कहना था कि साल 2006 में उसकी शादी परमाणु बिजलीघर में कार्यरत अधिकारी तुलसी कुमार के साथ हुई थी. शादी के दो साल बाद उसने पत्नी पूनम को साथ ना रखने की बात कहते हुए घर से निकाल दिया. फिर पत्नी पूनम के पागल होने का झूठा हवाला देकर उसने साल 2008 में न्यायालय में तलाक की अर्जी लगा दी. पूनम ने बताया कि साल 2016 में न्यायालय ने पति के पत्नी को पागल बताने को हवाला गलत ठहराया और तलाक पति की तलाक की अर्जी खारिज कर दी. इसके बाद से वो अपने पति के घर यानी ससुराल चली गई, और वहीं रहने लगी. हालांकि पति परमाणु बिजलीघर में वैज्ञानिक अधिकारी होने की वजह से रावतभाटा में ही रह रहा था.
पुलिस से की शिकायत तो मिला ऐसा जवाब पूनम का कहना था कि वो हर हाल में पति के साथ रहना चाहती है. साल 2016 से 2019 तक पति के साथ रहने की इच्छा को लेकर कई बार रावतभाटा आई, लेकिन पति ने उसे मारपीट कर भगा दिया. पूनम ने बताया कि पति कहता है कि पहले न्यायालय से मेरे साथ रहने का आदेश लाओ, तब साथ रखूंगा. इस पर वो कहती कि तलाक की अर्जी खारिज हो गई, अब साथ रहने का आदेश कहा से लाऊं. पति नहीं रखना चाहता, तो वो भी मुझे साथ नहीं रखने का कोर्ट का आदेश दिखाए. वहीं, इस बारे में पुलिस को शिकायत करती हूं तो पुलिस कहती है, साथ नहीं रखना कोई गुनाह नहीं है. इस आधार पर कार्रवाई नहीं की जा सकती.
पति ने तलाक के लिए लगाई है कोर्ट में अर्जी इस पर वो कहती है कि पति, पत्नी को मानसिक रूप से प्रताड़ित कर रहा है, और उसे मरने को विवश कर रहा है. यह भी तो एक गुनाह ही है. इस गुनाह के लिए तो कार्रवाई की जा सकती है. मुझे हर हाल में अपने पति के साथ रहना है. चाहे एक ही मकान में अलग-अलग क्यों ना रहना पड़े. अगर इस बार पति ने साथ नहीं रखा तो उसके सामने मरने के अलावा कोई दूसरा विकल्प नहीं बचेगा. इधर, इस मामलें में पूनम के पति तुलसी कुमार का कहना था कि उसे धोखे में रखकर पूनम के साथ शादी करवाई गई. उसकी पत्नी पूनम मानसिक रोग की दवा खाती थी. यह बात उससे छुपाई गई. बावजूद इसके शादी के बाद भी उसने कई बड़े हॉस्पिटल में पत्नी उपचार करवाया. मगर पत्नी के व्यवहार में कोई चेंज नहीं आया. तुलसी कुमार ने बताया कि न्यायालय में तलाक के लिए अर्जी लगा रखी है. निर्णय आना बाकी है. वहीं, बुजुर्ग माता-पिता के साथ पत्नी की ओर से मारपीट का गंभीर आरोप भी लगाया है.
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