हर मनुष्य की जिंदगी में सुख और दुख आता है और यह जीवन की बहुत बड़ी सच्चाई है। हर इंसान अपनी लाइफ में सुखी रहना चाहता है, लेकिन कभी न कभी उन्हें दुखों का भी सामना करना पड़ता है। आचार्य चाणक्य अपनी नीति में मनुष्य की जिंदगी को लेकर बहुत सारे श्लोक लिखें हैं जिसकी मदद से हम अपनी जिंदगी को बेहतर बना सकते हैं।
आचार्य चाणक्य की उन्ही नीतियों में से एक ऐसी भी नीति है जिसमे उन्होंने यह बताया है कि किस परिस्थिति में मनुष्य को जीवीत रहते हुए भी मृत्यु से भी अधिक कष्ट होता है। आज हम उसी के बारे में आपको बताने वाले हैं ताकि समय से पहले खुद को सावधान रख सके, तो चलिए अब हम चाणक्य के उस नीति के बारे में जानते हैं।
मनुष्य को कब मृत्यु से अधिक कष्ट होता है?
मनुष्य को किस स्थिति में जीवीत रहते हुए भी मृत्यु से भी अधिक कष्ट होता है, इसके बारे में विस्तार से जानने से पहले हम आपको चाणक्य की उस श्लोक के बारे में बताते हैं जिसमें उन्होंने इसका उल्लेख किया है :-
वरं प्राणपरित्यागो मानभङ्गन जीवनात्।
प्राणत्यागे क्षणां दुःख मानभङ्गे दिने दिने॥
इस श्लोक के माध्यम से चाणक्य कहते हैं कि मनुष्य के लिए बेइज्जती मृत्यु से भी ज्यादा दुखदाई है, क्योंकि मौत कुछ ही क्षण के लिए कष्ट देती है, लेकिन अपमान जिंदगी भर दुख देती है। इसकी वजह से इंसान दिन प्रतिदिन खोखला बना चला जाता है। जिस इंसान को अपने समाज में अधिक अपमान सहना पड़ता है वो घूंट-घूंट कर अपनी जिंदगी जीते हैं। उस स्थिति में उनके अपने लोग भी साथ नहीं देते हैं।
किसी से अपमान का बदला कैसे ले सकते हैं?
आचार्य चाणक्य अपनी नीतियों में यह भी बताया है कि जब कोई आपको बार-बार अपमान कर रहा है तब उससे कैसे बदला लिया जाए। इसके बारे में चाणक्य का कहना है कि जब कोई व्यक्ति एक बार बेइज्जती सहन कर लेता है तो उसे समझदारी कहा जाता है। उसके बाद दूसरी बार भी वो अपमान सहन कर लेता हैं तो उसे महान बताया जाता है, लेकिन तीसरी बार सहन करने वाला व्यक्ति मुर्ख कहलाता है।
चाणक्य का कहना है कि जब कोई शख्स आपको अपमान करें तो उससे बदला लेने के लिए उसकी ही भाषा में जवाब देना चाहिए। क्योंकि सामने वाला आपके सभी वार के लिए पहले से खुद को तैयार रखता है। इस वजह से बेइज्जती का बदला लेने लिए सिर्फ एक मुस्कान आपकी हथियार है, क्योंकि इसकी वजह से सामने वाले को बिना कुछ कहे और हाथ लगाए उसे दुख पहुंचा सकते हैं। इसे भी जरूर देखें -
0 Comments