नींद की हर इंसान के जीवन में अहमियत होती है. कहा जाता है कि एक स्वस्थ्य शरीर के लिए 7-8 घंटे सोना बहुत जरूरी है. आज के अस्त-व्यस्त जीवन में सोने का सही समय निकाल पाना चैलेंजिंग भी है. आमतौर पर ऐसा देखने को मिलता है कि कई लोगों की नींद रात में पूरी नहीं हो पाती. ऐसे में वे दोपहर में सोते हैं. लेकिन क्या दोपहर में सोना चाहिए. ये एक ऐसा सवाल है जिसपर पहले भी बहुत बहस हो चुकी है. कई लोग इसका अपना अलग लॉजिक देते हैं. लेकिन महान दार्शनिक चाणक्य की इसपर क्या राय है आइये जानते हैं.
क्या कहते हैं चाणक्य ? दोपहर में सोने को लेकर चाणक्य बहुत सटीक बात कहते हैं. वे कहते हैं कि जो लोग दिन में सोते हैं उनकी मृत्यु जल्द हो जाती है. चाणक्य के अनुसार सोते वक्त इंसान की सांसे लंबी हो जाती हैं इसलिए दिन में कभी नहीं सोना चाहिए. इसके अलावा चाणक्य ये भी कहते हैं कि जो लोग दोपहर में सोते हैं उनकी सफलता का स्तर भी घटा रहता है और उनकी परफॉर्मेंस कभी श्रेष्ठ दर्जे की नहीं हो पाती है. उनकी क्षमताएं और विशेषताएं निखरकर नहीं आ पाती हैं.
धन पर भी असर ? ऐसा कहीं नहीं लिखा कि दोपहर में सोने से किसी की माली हालत खराब हो सकती है. सेहत के हिसाब से इसे अच्छा नहीं माना जाता है. मगर रोजमर्रा की जिंदगी में बहुत से लोग ऐसे हैं जिनका रूटीन अब पहले की तरह नहीं रह गया है. ऐसे में कई लोगों की नींद अगर रात में नहीं पूरी हो पाती है तो वे दोपहर में सोना प्रेफर करते हैं. धन के कम या ज्यादा होने का इससे कोई संबंध नहीं. लेकिन कई जगहों पर ये भी माना जाता है कि दोपहर में सोने से नकारात्मकता फैलती है. शरीर का तो नुकसान होता ही है साथ ही मेंटली भी इंसान वैसा पॉजिटिव फील नहीं करता है जैसा वो सुबह उठकर करता है. इसलिए दोपहर में सोने को कई मायने में बेहतर नहीं माना गया है.
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