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अंधविश्वास नहीं विज्ञान, जानिए 10 हिन्दू परंपरा और उनके पीछे छिपे वैज्ञानिक कारण



अगर यह कहा जाए कि भारत की संस्कृति और सभ्यता दुनिया की सबसे धनी और सभ्य है तो यह गलत नहीं होगा। इसका उदाहरण भारतीय ग्रंथों और पुराणों में देखने को मिलता है। भले ही आज हम कितने भी आधुनिक क्यों न हो जाए लेकिन कुछ परम्परा और रिवाज़ ऐसे है जो आज भी निभाए जाते है। आइये आज हम 20 हिंदू रीति-रिवाजों के बारें में जानते हैं और उनका वैज्ञानिक महत्व भी आपको बताते हैं..

1- दोनों हाथों को जोड़कर नमस्कार करना

हम भारतीय जब किसी से मिलते हैं तो अभिवादन के स्वरुप उसे हाथ जोड़कर नमस्कार करते हैं। यह किसी भी अपरिचित और मेहमान से परिचय की शुरुआत करने का पहला चरण होता है। इसका वैज्ञानिक महत्व भी होता है। जब दोनों हाथों को जोड़कर नमस्कार किया जाता है तो अंगुलियों के टिप्स आपस में जुड़ जाते हैं। यह टिप्स कानों, आँखों और दिमाग के प्रेशर पॉइंट होते हैं। जब दोनों हाथों को जोड़कर नमस्कार किया जाता है तो प्रेशर पॉइंट सक्रिय हो जाते हैं जिससे आप किसी व्यक्ति को लम्बे समय तक याद रखते हैं।

2- औरतों द्वारा बिछिया का पहनना



बिछिया पैर की अंगूठी होती है। औरतों द्वारा बिछिया को पहनने का वैज्ञानिक महत्व यह है कि इससे खून का दौड़ा विनियमित रहता है। चांदी का बिछिया ध्रुवीय ऊर्जा को अवशोषित करके शरीर को स्वस्थ रखने में मदद करता है।

3- माथे पर तिलक का लगाना

माथे पर तिलक लगाने का भी अपना महत्व है। यह शरीर को एकाग्र बनाए में मदद रखता है। इसके अलावा तिलक शरीर की ऊर्जा को नष्ट होने से बचाता है। आज भी जब भी कहीं पूजा होती है तो माथे पर तिलक जरूर लगाया जाता है।

4- नदी में सिक्के का फेंकना

अक्सर लोगों को नदी में सिक्के फेंकते हुए देखा जा सकता है। नदी में सिक्के को फेंकना किस्मत के लिए अच्छा माना जाता है। इसके पीछे वैज्ञानिक महत्व भी है क्योंकि जब हम सिक्के को नदी में फेंकते तो कॉपर के बने होने के कारण नदी के पानी से कॉपर मिल जाता है। नदी का पानी पीने के लिए उपयोग में लाया जाता है तो इससे शरीर में कॉपर का संतुलन बना रहता है।

5- मंदिरों में घंटी का लगना

दुनिया के लगभग हर मंदिर में घंटी जरूर होती है। यह मंदिर के द्वार पर लगी होती है। भक्त इसे मंदिर में जाते समय और मंदिर से निकलते समय बजाते हैं। घंटी बजाने का वैज्ञानिक महत्व यह है कि जब भी इसे बजाया जाता है तो इसकी गूँज 7 सेकंड तक रहती है, यही गूँज हमारे शरीर की सात हीलिंग केंद्रों को सक्रिय कर देती है। जिससे हमारे दिमाग में आने वाले सभी नकारात्मक विचार ख़त्म हो जाते हैं।
6- मसालेदार भोजन के बाद मीठे की खाने की परम्परा

अक्सर लोग खाना खाने के बाद मीठा खाना पसंद करते हैं। मसालेदार भोजन पाचक रस और एसिड को सक्रिय करने में मदद करता है जिससे शरीर में भोजन को पचाने की प्रक्रिया अच्छी तरह से चलती है। इसके बाद मीठा खाने से बनने वाले कार्बोहाइड्रेट पचे हुए भोजन को नींचे खींच लेते हैं।

7- हाथ और पैर में मेहँदी लगाना

ऐसा देखा गया है लड़का और लड़की शादी से पहले पैर और हाँथ में मेहँदी लगाते हैं। कहा जाता है कि मेहँदी लगाने से परेशानियाँ कम हो जाती है। इसलिए दूल्हा और दुल्हन को मेहँदी लगाई जाती है।

8- जमीन पर बैठ के खाना खाने की प्रथा

खाना खाने की सबसे अच्छा तरीका बैठ कर खाना खाना होता है। इसके पीछे एक वैज्ञानिक कारण यह है कि जब बैठ कर खाना खाया जाता है तो शरीर शांत रहता है और भोजन पचाने की क्षमता बढ़ती है। इससे मस्तिष्क को संकेत जाता है कि भोजन पचने के लिए तैयार है।

9- उत्तर की तरफ सर रख के न सोना

हिन्दू धर्म में उत्तर की तरफ सर रखने सोना अशुभ माना जाता है। इसके पीछे वैज्ञानिक कारण भी दिया जाता है। कहा जाता है कि जब हम उत्तर की तरफ सर रख के सोते हैं तो पृथ्वी की तरह शरीर में चुंबकीय क्षेत्र होने के कारण यह विषम हो जाता है। इसकी वजह से शरीर में ब्लड प्रेशर, सर दर्द, संज्ञात्मक जैसी समस्यायों का सामना करना पड़ता है।

10- कानों में छेद करना

भारत में कान छेदने की बहुत पुरानी परम्परा रही है। इसके पीछे यह वैज्ञानिक कारण दिया जाता है कि कान छेदने से बोली भाषा में संयम आता है। ऐसा करने से गंदे विचार और विकार मन में नहीं आते हैं।

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