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चीन के ‘नाटो’ में शमिल होने जा रहा पाकिस्‍तान, निशाने पर अमेरिका! जानें भारत को कितना खतरा



इस्लामाबाद: चीनी राष्ट्रपति शी जिनपिंग ने बीआरआई के बाद अब वैश्विक सुरक्षा पहल (GSI) का प्रस्ताव दिया है। इसका उद्देश्य एक एशियाई सुरक्षा ढांचा का निर्माण करना है। इस पहल की जानकारी प विदेश मंत्री ले युचेंग ने पिछले सप्ताह सार्वजनिक की थी। इस वैश्विक सुरक्षा पहल की तुलना अमेरिका के नेतृत्व वाले नाटो से की जा रही है, जिसके 32 सदस्यों में से 30 यूरोप से हैं। नाटो के अनुच्छेद 5 के अनुसार, किसी भी एक सदस्य देश पर बाहरी आक्रमण बाकी सभी देशों पर आक्रमण माना जाएगा। चीन एशिया में अमेरिका के लगातार बढ़ते प्रभाव से चिंतित है। ऐसे में वह नाटो जैसे एक नए गठबंधन का निर्माण करना चाहता है, ताकि अमेरिका पर दबाव बढ़ा सके।

कई सूत्रों ने बताया कि चीन का यह कदम ऐसे समय में आया है जब बीजिंग को चिंता बढ़ रही है कि उत्तरी अटलांटिक संधि संगठन (नाटो) एशिया-प्रशांत क्षेत्र में अपना प्रभाव बढ़ा सकता है। वहीं, चीन की ‘बेल्ट एंड रोड पहल’ को कई भू-राजनीतिक चुनौतियों का सामना करना पड़ रहा है। चीन बढ़ते कोविड मामलों के कारण दुनिया के लिए काफी हद तक बंद है। इससे चीनी अर्थव्यवस्था की कमर टूट गई है। चीन दशकों बाद सबसे खराब आर्थिक स्थिति का सामना कर रहा है। ऐसे में शी जिनपिंग लोगों के बीच फैल रहे गुस्से को शांत करने के लिए सुरक्षा के मोर्चे पर एक नई कहानी को आकार देने में व्यस्त हैं।

लद्दाख में तनाव के बीच नया गठबंधन बना रहा चीन

रणनीतिक और सुरक्षा सूत्रों के अनुसार, भारत के लिए वैश्विक सुरक्षा पहल लद्दाख के पूर्वी क्षेत्र में यथास्थिति को एकतरफा बदलने के चीन के प्रयासों के बीच आया है। इसी घटना के परिणामस्वरूप 2020 की शुरुआत में सैन्य गतिरोध शुरू हुआ। सूत्रों ने आगे कहा, जीएसआई के तहत, चीन, भारत और दक्षिण एशिया के अन्य देशों को अपने स्वयं के एक व्यापक एशियाई सुरक्षा ढांचे के तहत लाने की कोशिश करेगा क्योंकि अमेरिका क्वाड (चतुर्भुज सुरक्षा वार्ता, जिसमें भारत भी शामिल है) के साथ इस क्षेत्र में अपना प्रभाव बढ़ा रहा है। इसके अलावा अमेरिका AUKUS के जरिए भी प्रशांत महासागर में अपनी मौजूदगी का विस्तार कर रहा है।

पाकिस्तान बनेगा पहला सदस्य

माना जा रहा है कि चीनी वैश्विक सुरक्षा पहल (GSI) का पहला सदस्य पाकिस्तान बनेगा। इस इनिशिएटिव को लेकर पाकिस्तान और चीन के बीच वार्ता भी हो रही है। पाकिस्तान अपनी सुरक्षा के लिए पूरी तरह पर चीन पर निर्भर है। दोनों देशों के बीच पुराना और मजबूत रक्षा संबंध हैं। पाकिस्तान और चीन ने एक साथ मिलकर एक लड़ाकू विमान भी विकसित किया है। इसके अलावा पाकिस्तानी सशस्त्र बलों के अधिकतर हथियार चीनी मूल के हैं। ऐसे में इस बात की प्रबल संभावना है कि चीन के अनुरोध पर पाकिस्तान इस वैश्विक सुरक्षा पहल का सदस्य बने।

भारत की बढ़ सकती है टेंशन

चीन और पाकिस्तान पहले से ही भारत की मुश्किलें बढ़ाने में जुटे हुए हैं। ऐसे में इन दोनों देशों को एक नए इनिशिएटिव के अंतर्गत आने से पाकिस्तान की सैन्य शक्ति में इजाफा हो सकता है। पाकिस्तान पहले से ही किसी ऐसे सैन्य गठबंधन का हिस्सा बनने की कोशिश में है, जिससे उसे सुरक्षा की गारंटी भी मिल सके और सैन्य खर्च भी कम हो सके। अगर पाकिस्तान इस गठबंधन का हिस्सा बनता है तो उसे चीन की कई शक्तिशाली हथियार और तकनीकों तक सीधी पहुंच मिल सकती है।

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