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बिहार में सरकारी स्कूलों में अब निजी स्कूल के शिक्षक भी प्रधानाध्यपक बन सकते हैं। वेतनमान भी पूर्व निर्धारित सरकारी मानदंडों के अनुरूप ही होगा। प्रदेश में पहली से पांचवीं कक्षा के 40558 प्राथमिक विद्यालयों में प्रधानाचार्य और 5334 उच्चतर माध्यमिक विद्यालयों में प्रधानाध्यापक की नियुक्ति बीपीएससी के जरिये की जायेगी। बता दे की दोनों पदों के लिये चयन 100-100 अंकों के वस्तुनिष्ठ प्रकार के प्रश्नों के आधार पर किया जायेगा। इस संवर्ग के लिये अलग से वेतनमान वित्त विभाग द्वारा तय किया जायेगा। माना जा रहा है |
बताया जा रहा है की पुराने प्रधानाध्यापक को जो वेतनमान दिया गया था नये को भी लगभग उतना ही दिया जायेगा। बता दे की खास बात यह है कि नई नियुक्तियों में निजी स्कूल के शिक्षकों को कुछ शर्तों के साथ नौकरी दी जायेगी। आईसीएसई, सीबीएसई या बिहार बोर्ड द्वारा मान्यता प्राप्त स्कूलों के शिक्षक जिनके पास शैक्षिक और प्रशिक्षण की डिग्री है और प्लस टू में 10 साल या 9 और 10 में न्यूनतम 12 साल का शिक्षण अनुभव है, उन्हें प्रधानाध्यपक पद के लिये पात्र माना जायेगा।
आपको बता दे की मंगलवार को कैबिनेट ने नियुक्ति, स्थानांतरण, अनुशासनात्मक कार्रवाई और सेवा की शर्तें नियम, 2021 को अपनी मंजूरी दे दी। इस नियुक्ति प्रक्रिया को अमलीजामा पहनाने के लिये बीपीएससी परीक्षा लेगा। 100 अंकों के वस्तुनिष्ठ प्रश्न पूछे जायेंगे और रिजल्ट के आधार पर ही चयन होगा। चाहे शिक्षक सरकारी हों या निजी स्कूल के सभी के लिये समान रूप से नियम प्रभावी होंगे। बताया गया है कि प्राथमिक विद्यालय में 40558 पद और हाईस्कूलों में 5334 प्रधानाध्यपक रिक्त हैं। इन पदों पर नियुक्ति की जायेगी। वेतनमान इसलिये आकर्षक बनाने की तैयारी है ताकि ज्यादा से ज्यादा टैलेंटेड टीचर्स को इसमें शामिल किया जा सके। इस परीक्षा को पास करने वाले शिक्षकों को प्रधानाध्यापक माना जायेगा। नवीन उच्चतर माध्यमिक विद्यालयों (कुल 5334) में प्रधानाध्यापक पद के लिये सरकारी विद्यालयों में जिला परिषद एवं नगर निकायों के माध्यम से नियुक्त वे शिक्षक, जिनके पास 8 वर्ष का अध्यापन अनुभव है, आवेदन कर सकेंगे। वहीं, कक्षा 9 और 10 के शिक्षक जो स्नातकोत्तर हैं | इन्हे भी जरूर पढ़ें
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