![](https://herbalmeds.in/wp-content/uploads/2021/06/Shivling360.jpg)
गोविंदेश्वर महादेव मंदिर के पुजारी पंडित मोहन बिहारी शास्त्री के अनुसार, इस शिवलिंग का मुख नंदी की प्रतिमा की ओर रहता है, लेकिन कोई भी भक्त शिवलिंग को घुमाकर उसका मुख किसी भी दिशा में कर सकता है। इससे भी बड़ा चमत्कार और चौकाने वाला तथ्य यह है कि साल में एक बार यह शिवलिंग अपने आप ही घूमता है।
24 खंभों की छत्री की दूसरी मंजिल पर यह शिवलिंग है। जबकि पहली मंजिल पर भगवान गणेश की अद्भुत प्रतिमा है। मंदिर के पुजारी के अनुसार, साल में एक बार रात के समय मंदिर की घंटियां अपने आप बजने लगती हैं। आरती होती है और शिवलिंग अपने आप घूमने लगता है।
दक्षिणमुखी शिवलिंग की पूजा सबसे पहले पांडवों ने की थी। यह मंदिर तो 1100 साल पुराना है, लेकिन इसमें घूमने वाले शिवलिंग की प्राण प्रतिष्ठा 300 साल पहले हुई थी। श्योपुर के गौड़ वंशज राजा पुरुषोत्तम दास 1722 में इस इस शिवलिंग को महाराष्ट्र के सोलापुर से लाए थे।
0 Comments