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मां का ऐसा रहस्यमयी मंदिर जहां पर प्रतिदिन जलाया जाता है एक मुर्दा


 आज हम आपकाे हिमाचल के ऐसे चमत्कारी मंदिर के बारे में बताने जा रहे हैं, जहां पर आज भी शिव-पार्वती विश्राम करने के लिए आते हैं। इस मंदिर इस का इतिहास लगभग 700 वर्ष पुराना हैं। यहां पर हर राेज एक मुर्दा जरूर जलाया जाता हैं। नवरात्राें में देश के कोने-कोने से भक्त यहां आकर मां का आशीर्वाद प्राप्त करते हैं, ताे आइए आपकाे इस मंदिर के इतिहास के बारे में बताते हैं-

चामुण्डा देवी का मंदिर जिला कांगड़ा हिमाचल प्रदेश में स्थित है। यह धर्मशाला से 15 किमी की दूरी पर है। मान्यता है कि यहां पर आने वाले श्रद्धालुओं की सभी मनोकामना पूर्ण होती है और देश के कोने-कोने से भक्त यहां पर आकर माता का आशीर्वाद प्राप्त करते हैं। चामुण्डा देवी मंदिर मुख्यता माता काली को समर्पित है। माता काली शक्ति और संहार की देवी है, जब-जब धरती पर कोई संकट आया है तब-तब माता ने दानवों का संहार किया है। असुर चण्ड-मुण्ड के संहार के कारण माता का नाम चामुण्डा देवी पड़ा।



पौराणिक कथा के अनुसार, हजारों साल पहले धरती पर शुम्भ और निशुम्भ नामक दो दैत्यो ने राज कर लिया था, तब देवताओं और मनुष्यों ने शक्तिशाली देवी दुर्गा की आराधना की, तो देवी दुर्गा ने कहा की वो जरुर उनकी इन दैत्यों से रक्षा करेंगी। इसके बाद दुर्गा जी ने कौशिकी के नाम से अवतार लिया जिसके बाद शुम्भ और निशुम्भ के दूतों ने माता कौशिकी को देख लिया। दोनों ने शुम्भ और निशुम्भ से कहा कि आप तो तीनों लोगों के राजा है, आपके पास सब कुछ है, लेकिन आपके पास एक सुंदर रानी भी होना चाहिए, जो सारे संसार में सबसे सुंदर हाे। दूतों की इन बातों को सुनकर शुम्भ और निशुम्भ ने अपना एक दूत माता कौशिकी के पास भेजा और कहा कि कौशिकी से कहना कि शुम्भ और निशुम्भ तीनों लोको के राजा हैं और वो तुम्हे रानी बनाना चाहते हैं।



शुम्भ और निशुम्भ के कहने पर दूत ने ऐसा ही किया। कौशिकी ने दूत की बात सुनकर कहा कि में जानती हूँ कि वो दोनों बहुत शक्तिशाली हैं, लेकिन में प्रण ले चुकीं हूँ कि जो मुझे युद्ध में हरा देगा मैं उसी से विवाह करुंगी। तब दूत ने शुम्भ और निशुम्भ को जाकर ये बात बताई तो उन्होंने दो दूत चण्ड और मुण्ड को देवी के पास भेजा और कहा कि उसके केश पकड़ कर हमारे पास लाओ। जब चण्ड और मुण्ड ने वहां जाकर देवी कौशिकी से साथ चलने को कहा तो उन्होंने क्रोधित होकर अपना काली रूप धारण कर लिया और आसुरों को मार दिया।



इन दोनों राक्षसों के सर काटकर देवी चामुंडा (काली) कोशिकी के पास लेकर आ गई, जिससे खुश होकर देवी कोशिकी ने कहा कि तुमने इन दो राक्षसों को मारा है अब तुम्हारी प्रसिद्धी चामुंडा के नाम से पूरे संसार में होगी। मान्यता है कि यहां पर आने वाले श्रद्धालुओं की सभी मनोकामना पूर्ण होती है। नवरात्राें के दिनाें में देश के कोने-कोने से भक्त यहां पर आकर माता का आशीर्वाद प्राप्त करते हैं। यहां पर जाे भी भक्त सच्चे दिल से मांगता हैं इसकी हर मनाेकामना पूरी हाेती हैं।

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