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डरपोक चूहा की कहानी | Darpok chuha ki kahani
बहुत पुरानी बात है एक बिल में एक चूहा रहता था। चूहा बहुत ही डरपोक था वह अपना ज्यादातर समय अपने बिल में ही बिताता था। चूहे को हमेशा डर लगा रहता था कि कहीं कोई बिल्ली उसे पकड़ कर खा ना ले। चूहा कभी कभार ही अपने बिल से बाहर आता था । चूहे के बिल के पास ही एक झोपडी में एक साधू रहते थे ।
एक बार चूहा भोजन की तलाश में बिल से बाहर आया । साधु ने देखा चूहा बहुत अधिक डरा हुआ है उन्होंने चूहे को बुलाया और उससे उसके डर का कारण पूछा। चूहा बोला - " हे साधु महाराज ! मुझे हमेशा इस चीज का भय रहता है कि कोई बिल्ली अचानक मुझ पर हमला करके मुझे खा जाएगी। आप तो बहुत बड़े तपस्वी हैं कृपया आप अपने तपोबल से मुझे बिल्ली बना दीजिए ताकि मेरा यह डर हमेशा के लिए खत्म हो जाए। "
चूहे की बात सुनकर साधु मंद मंद मुस्कुराए और चूहे से बोले - " मैं तुम्हें बिल्ली तो बना दूंगा परंतु क्या इससे तुम्हारा डर खत्म हो जाएगा?"
चूहा बोला - "साधु महाराज ! जब मैं बिल्ली बन जाऊंगा तो मुझे किसी और बिल्ली का डर ही नहीं रहेगा फिर मैं निर्भीक होकर घूमा करूँगा । "
साधु महाराज ने चूहे को बिल्ली बना दिया। बिल्ली बनकर चूहा बहुत खुश था कुछ दिन तो उसने बड़ी मौज से बिताए। एक दिन एक कुत्ते ने उसे देख लिया और बिल्ली के पीछे पड़ गया। बिल्ली बने चूहे ने बड़ी मुश्किल से कुत्ते से अपनी जान बचाई।
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अब बिल्ली बने चूहे को यह डर सताने लगा कि कोई कुत्ता अचानक उस पर हमला कर देगा और उसे मारकर खा जाएगा। बिल्ली बना चूहा फिर से साधु महाराज के पास गया और उनसे बोला - " साधू महाराज ! बिल्ली बनकर मैं खुश नहीं हूं । मुझे हमेशा डर सताता है कि कोई कुत्ता मुझे मार देगा कृपया कर आप मुझे कुत्ता ही बना दीजिए। "
साधु उसकी बात सुनकर मंद- मंद मुस्कुराये और उसे कुत्ता बना दिया। कुत्ता बनकर चूहा कुछ दिन तो खुश रहा किंतु एक दिन उसके सामने कुछ भेड़िए आ गए और उस पर हमला कर दिया। कुत्ते ने बड़ी मुश्किल से अपनी जान बचाई। कुत्ता बने चूहे को फिर डर सताने लगा कि भेड़िए किसी दिन उसका शिकार कर लेंगे।
कुत्ता बना चूहा फिर से साधु महाराज के पास गया और उनसे बोला साधु महाराज आप मुझे भेड़िया बना दीजिए जिससे वीडियो से मेरा डर खत्म हो जाए। साधु ने चूहे को भेड़िया बना दिया। भेड़िया बने चूहे पर एक दिन शेर ने हमला बोल दिया किंतु किसी तरह इस बार भी वह बच गया । भेड़िया बने चूहे को यह डर सताने लगा कि किसी दिन शेर उसका शिकार कर लेगा।
चूहा फिर से साधु के पास गया और उनसे बोला साधु महाराज आपने मुझे पहले बिल्ली फिर कुत्ता और अब भेड़िया तो बना दिया किंतु मेरा डर खत्म नहीं हो रहा। अब आप मुझे इस जंगल का राजा शेर ही बना दीजिए ताकि मुझे किसी और जानवर से कोई खतरा ही ना हो। साधु ने फिर से उसकी बात मान ली और उसे शेर बना दिया।
शेर बने चूहे को अब लगने लगा कि उसका डर हमेशा के लिए खत्म हो जाएगा क्योंकि अब वह जंगल का सबसे शक्तिशाली जानवर बन चुका है और जंगल का कोई दूसरा जानवर उस पर हमला नहीं कर सकता। एक दिन जंगल में कहीं से शेर का शिकार करने के लिए शिकारी आते हैं और शेर को फंसाने के लिए जाल फैला देते हैं और शेर उस जाल में फंस जाता है ।
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चूहा बने शेर को अब डर सताने लगा की शिकारी आते ही उसे गोली मार कर मार देंगे। उसे लगा कि काश वह चूहा होता तो इस जाल को बड़ी आसानी से काटकर जाल से बाहर आ जाता। उसी समय साधू कहीं जा रहे थे उन्हने शेर बने चूहे को जाल में फंसा देखा और उसके पास आ गए ।
साधू को देखकर शेर बने चूहे ने साधु महाराज से विनती कि उसे फिर से चूहा बना दिया जाए। साधु ने शेर को वापस चूहा बना दिया। चूहा बनते ही उसने जाल को काट दिया और जाल से बाहर आ गया। चूहा साधु के सामने हाथ जोड़कर खड़ा हो गया और बोला - " साधु महाराज आपकी मंद-मंद मुस्कान का रहस्य मुझे समझ में आ गया है किसी भी जीव के बड़ा ,छोटा , कमजोर या शक्तिशाली होने से कोई फर्क नहीं पड़ता है। प्रत्येक जीव मैं कुछ ना कुछ कमियां होती हैं इन कमियों से ना डर कर जीवन में सदैव आगे बढ़ते रहना चाहिए। "
शिक्षा - " डरपोक चूहे की कहानी से हमें शिक्षा मिलती है कि अपनी कमजोरियों से कभी नहीं डरना चाहिए और साहसपूर्वक जीवन पथ पर आगे बढ़ना चाहिए । "
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