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बुरी तरह फंसा Swiggy! कस्टमर ने कोर्ट में घसीटा, 187 रुपये की आइसक्रीम के लिए देने पड़े 5000 रुपये


Swiggy Delivery Boy: कभी सोचा था कि सिर्फ ₹100 वाली आइसक्रीम का ऑर्डर देने पर स्विगी कंपनी को पूरे पांच हजार रुपये का मुआवजा देना पड़ेगा? जी हां, यह चौंकाने वाली घटना है. बेंगलुरु के एक कंज्यूमर कोर्ट ने फूड डिलीवरी कंपनी स्विगी के खिलाफ फैसला सुनाया है. कोर्ट ने कंपनी को आदेश दिया है कि वो एक कस्टमर को मुआवजा दे क्योंकि कंपनी कस्टमर का ₹187 वाला ‘नटी डेथ बाय चॉकलेट आइसक्रीम’ ऑर्डर डिलीवर करने में नाकामयाब रही थी. ये जानकारी ‘बार एंड बेंच’ नाम की वेबसाइट ने दी है. आपको ये जानकर हैरानी होगी कि सिर्फ ₹187 वाली आइसक्रीम स्विगी को इतनी महंगी पड़ सकती है.

स्विगी ने ग्राहक को दिया ₹5000 का मुआवजा

बेंगलुरु के एक कंज्यूमर कोर्ट ने स्विगी को ग्राहक को ₹5000 का मुआवजा देने का आदेश दिया है. दरअसल, जनवरी 2023 में एक महिला ने स्विगी से ‘नटी डेथ बाय चॉकलेट आइसक्रीम’ मंगवाया था. डिलीवरी वाला आदमी तो आइसक्रीम की दुकान से उसे ले गया, लेकिन वो कभी महिला तक नहीं पहुंची. इसके बावजूद स्विगी ऐप पर ऑर्डर को गलत तरीके से “डिलीवर” दिखा दिया गया. महिला ने जब स्विगी के कस्टमर केयर से पैसे वापस मांगे तो कोई फायदा नहीं हुआ. इससे परेशान होकर महिला ने उपभोक्ता अदालत का दरवाजा खटखटाया.

कोर्ट ने स्विगी को गलत माना

अदालत ने माना कि स्विगी ने सही सर्विस नहीं दी और गलत तरीका अपनाया. इसलिए अदालत ने स्विगी को ₹3000 का मुआवजा महिला को देने का और ₹2000 उसके वकील के खर्च के लिए देने का आदेश दिया. स्विगी ने बचने की कोशिश की. उनका कहना था कि वो तो सिर्फ ग्राहक और रेस्टोरेंट के बीच का एक रास्ता है. उन्होंने ये भी कहा कि डिलीवरी वाले की गलती के लिए उन्हें ज़िम्मेदार नहीं ठहराया जा सकता. इसके अलावा, स्विगी का कहना था कि उन्हें सूचना प्रौद्योगिकी अधिनियम के तहत सुरक्षा मिली हुई है. उनके मुताबिक, ऐप पर एक बार ऑर्डर “डिलीवर” हो जाने के बाद, वो ये जांच नहीं कर सकते कि असल में डिलीवरी हुई भी या नहीं.

“खराब सर्विस” और “स्कैम”

कोर्ट ने स्विगी की किसी भी बात को नहीं माना. अदालत के मुताबिक, ग्राहक को पैसे वापस न करना, जबकि आइसक्रीम नहीं पहुंची, ये साफ तौर पर “खराब सर्विस” और “स्कैम” है. दरअसल, महिला ने शुरू में ₹10,000 मुआवजा और ₹7,500 वकील के खर्च के लिए मांगे थे. लेकिन, अदालत को ये रकम ज्यादा लगी, इसलिए उन्होंने स्विगी को कुल ₹5,000 ही देने का आदेश दिया.

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