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पिता ठेले पर बेचते थे आम, बेटे ने कुल्फी बेचकर खड़ी कर दी ₹400 करोड़ की कंपनी

‘आइस्क्रीम मैन’ के नाम से मशहूर, नेचुरल्स आइसक्रीम ( Naturals Ice Cream) के फाउंडर रघुनंदन श्रीनिवास कामथ (Raghunandan Srinivas) का निधन हो गया. 75 साल के रघुनंदन कामथ बीते कुछ दिनों से बीमार चल रहे थे. मुंबई के एचएन रिलायंस फाउंडेशन अस्पताल में उन्होंने अंतिम सांस ली. कंपनी की ओर से सोशल मीडिया पोस्ट के जरिए उनके निधन की जानकारी दी गई. जिंदगी के संघर्षों से लड़ते हुए रघुनंदन श्रीनिवास कामथ ने अपना आइसक्रीम ब्रांड शुरू किया. कोई सोच भी नहीं सकता कि रेडी पर फल बेचने वाला का बेटा करोड़ों की कंपनी खड़ी कर सकता है.

दुनिया में बहुत कम ऐसे लोग होते हैं जो संघर्ष के सामने हार नहीं मानते, मुश्किलों से जूझते हुए उन्होंने सफलता हासिल की. पिता ठेला लगाकर आम बेचा करते थे, रघुनंदन ने अपनी किस्मत के आगे घुटने टेकने के बजाए अपना रास्ता खुद चुना. अपनी मेहनत के दम पर 400 करोड़ रुपये की कंपनी खड़ी कर दी है. रघुनंदन श्रीनिवास कामथ का जन्म एक गरीब परिवार में हुआ. उनके पिता कर्नाटक के मैंगलोर जिले के एक गांव में आम का ठेला लगाते थे. 6 भाई बहन के परिवार में रघुनंदन परिवार की जरूरतों को छोटी उम्र से ही समझने लगी.

रेस्टोरेंट में किया काम
रघुनंदन ने छोटी उम्र में ही पिता के साथ ठेले पर काम करना शुरू कर दिया. फलों का सही चुनाव और उन्हें संरक्षित करना उन्होंने पिता से सीखा. फलों को लंबे वक्त तक कैसे प्रीजर्व्‍ड करें ये गुर भी उन्हें पिता से ही मिला, जो बाद में उनके बहुत काम आई.रघुनंदन समझ गए हैं कि अगर उन्हें कुछ बड़ा करना है तो गांव से निकलना होगा उन्होंने कर्नाटक से बाहर निकलकर मुंबई का रास्ता चुना. 14 साल की उम्र में वो मुंबई पहुंच गए. उन्होंने रेस्टोरेंट में काम किया. वहीं उन्होंने आइसक्रीम बनाना भी सीखा, लेकिन वो हमेशा से अपना काम करना चाहते थे. सेविंग के पैसे और 4 स्टाफ के साथ उन्होंने साल 1984 में छोटी सी आइस‍क्रीन स्टोर शुरू की.

नेचुरल्‍स आइसक्रीम की शुरुआत
रघुनंदन ने मुंबई के जुहू में पहला स्‍टोर खोला, शुरुआत में सिर्फ चार कर्मचारी थे. 10 फ्लेवर के साथ उन्होंने आइसक्रीम बेचना शुरू किया. उन्होंने देखा कि आइसक्रीम पार्लर पर ज्यादा लोग नहीं आ रहे थे. लोगों को अपने स्टोर तक खींचने के लिए उन्होंने अपने स्टोर पर आइसक्रीम के साथ मुंबई का फेवरेट पाव भाजी, बड़ा पाव बेचना शुरू किया. राघुनंदन मसालेदार पाव भाजी बनाते, जब पावभाजी खाने के बाद लोगों को तीखा लगता तो वह कामत की की मीठी और ठंडी आइसक्रीम खाते. नेचुरल तरीके से फल, दूध और चीनी से बनी आइसक्रीम लोगों को पसंद आने लगी. उनके आइसक्रीम का स्वाद लोगों को पंसद आ गया और धीरे-धीरे उनके पार्लर पर भीड़ बढ़ने लगी.

पहले साल में 5 लाख का कारोबार
उन्होंने मुंबई के जुहू इलाके में 200 वर्ग फीट की अपनी छोटी दुकान से पहले साल में 5 लाख रुपये का कारोबार कर लिया. उनके स्वाद का जादू अब दूर-दूर तक पहुंचने लगा. लोग उनकी आइसक्रीम आने के लिए पार्लर के बाहर लाइन लगाने लदे. अब उन्हें आइसक्रीम बेचने के लिए पावभाजी का सहारा लेने की जरूरत नहीं थी. उन्होंने आइसक्रीम का कंप्लीट ब्रांड बनाने के लिए पाव भाजी भेजना बंद कर दिया. 1994 में उन्होंने 5 और आउटलेट्स खोल लिए. उन्होंने अपनी आइसक्रीम में कोई भी कैमिकल न मिलाने का फैसला किया. कुछ ही सालों में उन्होंने देशभर में अपने 135 से ज्यादा आउटलेट्स खोल लिए. अपने मेहनत के दम पर उन्होंने नेचुरल्स आइसक्रीम का टर्नओवर 400 करोड़ रुपये के पार हो गया.

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