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हिमाचल के बागी कांग्रेसी विधायकों का यू-टर्न, अयोग्यता के खिलाफ सुप्रीम कोर्ट से याचिका वापस ली


शिमला: कांग्रेस के छह पूर्व विधायकों ने हिमाचल प्रदेश विधानसभा से अयोग्य ठहराए जाने के खिलाफ सुप्रीम कोर्ट में दायर अपनी याचिका शुक्रवार को वापस ले ली। कांग्रेस के इन 6 विधायकों को पार्टी व्हिप ना मानने पर 29 फरवरी को विधानसभा अध्यक्ष द्वारा अयोग्य करार दिया गया था।

वरिष्ठ वकील अभिनव मुखर्जी ने पूर्व विधायकों की तरफ से कोर्ट में पेश होते हुए जस्टिस संजीव खन्ना और दिपांकर दत्ता की बेंच को बताया कि सभी छह विधायक अपनी याचिका वापस लेना चाहते हैं। जिसके बाद पीठ ने उन्हें ऐसा करने की अनुमति देते हुए कहा कि ‘हम जानते थे कि चुनाव के कारण ऐसा होने वाला है।’

बता दें कि याचिका वापस लेने वाले सभी छह पूर्व कांग्रेसी विधायक अयोग्य ठहराए जाने के बाद भाजपा में शामिल हो गए थे, और अब उपचुनावों में भाजपा उम्मीदवार के रूप में चुनाव लड़ रहे हैं। हिमाचल प्रदेश में लोकसभा चुनाव के साथ-साथ इन छह विधानसभा सीटों पर उपचुनाव के लिए भी 1 जून को वोटिंग होगी। इससे पहले इन विधायकों की याचिका पर सुनवाई करते हुए सुप्रीम कोर्ट ने 18 मार्च को इन्हें अयोग्य ठहराने के हिमाचल प्रदेश विधानसभा अध्यक्ष के आदेश पर रोक लगाने से इनकार कर दिया था।

अयोग्य ठहराए गए पूर्व विधायकों के नाम राजेंद्र राणा, रवि ठाकुर, सुधीर शर्मा, इंदर दत्त लखनपाल, चेतन्य शर्मा और देविंदर कुमार भुट्टो हैं। इन्हें सदन में उपस्थित रहने और कटौती प्रस्ताव तथा बजट के दौरान हिमाचल प्रदेश सरकार के पक्ष में वोट करने के लिए कहा गया था, लेकिन इन्होंने ऐसा नहीं किया था। जिसके बाद विधानसभा अध्यक्ष ने इन्हें अयोग्य घोषित कर दिया था। इन विधायकों ने हिमाचल प्रदेश में हुए राज्यसभा चुनाव के दौरान भी पार्टी के खिलाफ जाकर क्रॉस वोटिंग की थी। 

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