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बेहद बुरी कंडीशन में गुजरे इन एक्टर्स के आखिरी दिन, ऐसी हो गई थी हालत!

 

परवीन बाबी: 20 जनवरी, 2005 को परवीन बाबी ने दुनिया को अलविदा कहा। वे सिजोफ्रेनिया नाम की मानसिक बीमारी से पीड़ित थीं। ये अनुवांशिक बीमारी थी, जिसके ठीक होने की संभावना न के बराबर थी। परवीन डायबिटीज और गैंगरीन से भी पीड़ित थीं। इस वजह से उनकी किडनी और शरीर के कई अंगों ने काम करना बंद कर दिया था। उनकी मौत किसी बीमारी से हुई या उन्होंने आत्महत्या की, ये बात अब तक राज ही है। परवीन बॉबी के पड़ोसियों ने पुलिस को इन्फॉर्म किया था कि उनके घर के बाहर अखबार और दूध के पैकेट दो दिन से पड़े थे।

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रामी रेड्डी: बॉलीवुड और साउथ की कई फिल्मों में विलेन का रोल प्ले कर चुके एक्टर रामी रेड्डी को उनके क्रूर किरदारों के लिए जाना जाता है। फिर चाहे 1993 में आई फिल्म 'वक्त हमारा है' में कर्नल चिकारा का रोल हो या 'प्रतिबंध' में अन्ना का, रामी विलेन के हर किरदार में जान डाल देते थे। हालांकि, 250 से ज्यादा फिल्मों में काम कर चुके रामी को लिवर की बीमारी ने घेर लिया था, जिसकी वजह से वो अक्सर बीमार रहने लगे थे। लिवर की बीमारी के चलते रामी का ज्यादा वक्त घर पर ही बीतता था और धीरे-धीरे वो पब्लिक में जाने से बचने लगे। हालांकि, एक बार वो एक इवेंट में नजर आए थे, जहां उन्हें पहचानना मुश्किल हो गया था। रामी को लिवर के बाद किडनी की बीमारी ने भी घेर लिया था, जिसकी वजह से मौत के पहले वो सिर्फ हड्डियों का ढांचा रह गए थे। हालांकि, कहा जाता है कि उन्हें कैंसर भी हो गया था। कुछ महीनों तक इलाज चलने के बाद 14 अप्रैल, 2011 को सिकंदराबाद के एक प्राइवेट अस्पताल में रामी रेड्डी की मौत हो गई।

गैविन पैकर्ड: 'त्रिदेव' (1989), 'चमत्कार' (1992), 'मोहरा' (1994) और 'खिलाड़ियों का खिलाड़ी' (1996) जैसी फिल्मों में नजर आए एक्टर गैविन पैकर्ड की जब डेथ हुई तो कोई भी बॉलीवुड स्टार उनकी अंतिम विदाई में शामिल नहीं हुआ। आखिरी वक्त में उनकी हालत बेहद खराब हो गई थी। डेथ के समय वे 47 साल के थे। पैकर्ड का जन्म 8 जून 1964 को महाराष्ट्र के कल्याण में हुआ था। वे पांच भाई-बहनों में सबसे बड़े थे। उनके पिता अर्ल कम्प्यूटर एक्सपर्ट थे और मां बारबरा हाउसवाइफ, जो कोंकणी महाराष्ट्रियन थीं। गैविन का उनकी पत्नी से सेपरेशन हो गया था और जिंदगी के आखिरी दिनों में वे छोटे भाई डेरिल पैकर्ड के साथ रह रहे थे। गैविन की दो बेटियां (एरिका पैकर्ड और कैमिली कायला पैकर्ड) हैं। 18 मई 2012 को वसई, महाराष्ट्र में रेस्पिरेटरी डिसऑर्डर की वजह से गैविन की डेथ हो गई।

निशा नूर: यह नाम सुनने में भले ही अनसुना लग रहा हो, लेकिन 80 के दशक में साउथ इंडियन फिल्म इंडस्ट्री में बहुत पॉपुलर था। निशा की पॉपुलैरिटी कुछ ऐसी थी कि रजनीकांत और कमल हासन जैसे बड़े स्टार्स भी उनके साथ काम करना चाहते थे। कहा जाता है कि निशा को एक प्रोड्यूसर ने धोखे से प्रॉस्टिट्यूशन में धकेल दिया था। इसके बाद हुआ यह कि इंडस्ट्री के सभी लोग उनसे दूर हो गए। जब कोई चारा नहीं दिखा तो निशा ने हमेशा के लिए इंडस्ट्री छोड़ दी। लेकिन इसके बाद उनके हालात और खराब हो गए। इंडस्ट्री से कोई उन्हें देखने तक नहीं आया। धीरे-धीरे निशा के आर्थिक हालात बिगड़ते गए। कहा जाता है कि आखिरी दिनों में हालत इतनी खराब हो चुकी थी कि उन्हें सड़क पर पड़ी पाया गया था। इस दौरान वे जिंदगी की आखिरी सांसें गिन रही थीं। आसपास के लोगों ने उन्हें अस्पताल में भर्ती कराया तो पता चला कि उन्हें एड्स था। 2007 में निशा जिंदगी की जंग हार गईं।
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