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गर्भवती महिलाये सोते वक़्त भूल से भी ना करे ये गलतियां वरना ज़िन्दगी भर पछताना पड़ेगा!

  


गर्भावस्था के दौरान महिलाओं को अपने आप का और बच्चे का और भी ज़्यादा ख्याल रखना पड़ता है। गर्भावस्था का समय महिलाओं के लिए काफी नाज़ुक होता है इस समय एक छोटी से भी गलती आपको और आपके बच्चे को नुकसान पौछा सकती है. खाने पिने के मामले में तो गर्भवती महिला को अपना ख्याल रखना ही चाहिए लेकिन साथ में सोते वक़्त भी ऐसी सोना चाहिए जिससे वो और उसका बच्चा स्वास्थ रहे. आज हम आपको बताने जा रहे है की गर्भावस्था के दौरान महिलाओं को किस पोजीशन में सोना चाहिए।

पीठ के बल न सोये : 
गर्भावस्था में महिला को पीठ के बल नहीं सोना चाहिए गर्भावस्था के दौरान गर्भाशय का पूरा भार पीठ के शिरा पर पड़ता है. शिरा यानि की जो शरीर के निचले हिस्से से रक्त को आपके हृदय तक पहुंचाती है. अगर आप गर्भावस्था में पीठ के बल सोते है तो इससे आपको कई सारी परेशानिया हो सकती है जैसे की पीठ दर्द, बवासीर, सांस लेने में तकलीफ़ और रक्त परिसंचरण में कठिनाई जैसी समस्या हो सकती होती है, इसीलिए गर्भावस्था के दौरान पेट के बल न सोये.
दायी तरफ न सोये : 
गर्भावस्था मे दायी हाथ की तरफ भी नहीं सोना चाहिए लेकिन अगर आप पीठ के बल या पेट के बल सोते है तो उससे कई ज़्यादा अच्छा दायी तरफ सोना बेहतर है, लेकिन फिर भी दायी तरफ सोना ज़्यादा सुरक्षित नही है क्योंकि जब आप दायी तरफ सोते है तब आप अपने जिगर पर दबाव डाल सकता है, जो कि माँ और बच्चे दोनों के लिए काफी नुकसानदायक होता है इसीलिए कोशिश करे की गर्भावस्था के दौरान दायी तरफ न सोये।
बायीं तरफ सोना है बेहतर :
गर्भावस्था के दौरान महिलाओं को बायीं तरफ सोना करवट करके सोना चाहिए क्योंकि ये माँ और बच्चे दोनों के स्वास्थ के लिए काफी अच्छा होता है. बाई तरफ सोने से माँ और बच्चे की बॉडी मे रक्त का प्रवाह सही तरीके से होता है. जिससे गर्भ में पल रहे बच्चो को भरपूर मात्रा में ऑक्सीजन और पोषण मिलता है. बायीं तरफ करवट करके सोने से शरीर के अंदरूनी अंगो मे भी कम दबाब पड़ता है और बच्चा ही सुरक्षित रहता है।

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स्वास्थ्य विशेषज्ञो ने हाल ही में उन कारकों का पता लगाने का दावा किया है जिसके जरिए गर्भ में ही बच्चे 👪 का आईक्यू लेवल विकसित किया जा सकता है, ऐसे में अगर मां चाहे तो वह गर्भ में ही बच्चे के आईक्यू को बूस्ट करने में अहम भूमिका निभा सकती है, बस उसको इन बातों का नियमित तौर पर ख्याल रखना होगा-

  1. आवाज का अहसास : अच्छी किताबें 📚📓📑 पढ़ना और सुकून भरे गीत व कविताएं मां की आवाज में सुनना बच्चे के लिए बहुत फायदेमंद होता है। इससे उसका मस्तिष्क तेजी से बढ़ता है। 23वें हफ्ते के बाद गर्भ में पल रहा बच्चा कुछ आवाजों पर रिस्पांस भी देना शुरू कर देता है और मां की आवाज तो उसके लिए खास होती ही है।
  2. सही खानपान : गर्भावस्था के दौरान सही 🍇🍎🍐 खानपान न केवल मां के लिए फायदेमंद होता है बल्कि इससे बच्चे के विकास पर भी सकारात्मक असर पड़ता है, ओमेगा-3 से युक्त खानपान बच्चे के मानसिक विकास के लिए बहुत फायदेमंद होता है। प्रेग्नेंसी में ऐसी डाइट जरूर लें।
  3. बाहरी चीजों का असर : मां की छुअन भी बच्चे के मानसिक विकास को प्रभावित करती है। साथ ही कोशिश की जानी चाहिए कि गर्भ पर कभी भी सीधी रोशनी न पड़े, यह बच्चे के लिए खतरनाक हो सकती है। साथ ही मां के सोने का तरीका, उठने-बैठने और चलने का तरीका भी बच्चे के मानसिक विकास के लिए जिम्मेदार होता है।
  4. तनाव से रहें दूर :  गर्भावस्था के दौरान अगर मां तनाव लेती हैं तो इसका नकारात्मक परिणाम बच्चे को भी भुगतना पड़ सकता है। इसलिए मां को कोशिश करनी चाहिए कि वह हर तरह के मानसिक तनाव और चिंता से दूर रहे।
  5. बुरी आदतों को छोड़ दें : अगर गर्भवती महिला धूम्रपान करती है तो इसका असर बच्चे के मानसिक विकास पर भी हो सकता है। गर्भावस्था के दौरान धूम्रपान और किसी भी तरह का नशा करना बच्चे की सेहत के साथ खिलवाड़ हो सकता है इसलिए इससे बचें।

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